नई दिल्ली. सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई करने वाले जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत की जांच के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होनी है. लेकिन अभी तक सुप्रीम कोर्ट में ये साफ नहीं हो पाया है कि कोर्ट में सुनवाई होगी या नहीं. क्योंकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कामकाज पर सवाल उठे हैं. जिस वजह से अभी तक इस मामले में सुनवाई नहीं हो पायी है. बता दें सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका महाराष्ट्र के पत्रकार बी आर लोनी ने दायर की. इस मामले में जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत पर दूसरी बॉम्बे लॉयर एसोसिएशन के द्वारा दायर याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट 23 जनवरी को सुनवाई करेगा.
बता दें सोहराबुद्दीन एनकाउंट मामले की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बी एच लोया की अचानक मौत हो गयी थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोया की मौत एक दिसंबर 2014 की सुबह नागपुर में हुई थी जहाँ वे एक शादी में शामिल होने गए थे, उनकी मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताई गई है. जिसके बाद उनके परिजनों ने चुप्पी तोड़ते हुए उनकी मौत पर सवाल खड़े किए थे. जस्टिस लोया के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई बल्कि इन सबके पीछे कुछ और ही मामला है. परिवार वालों ने सवाल उठाया कि दिल का दौरा पड़ने की हालत में उनका ईसीजी क्यों नहीं किया गया? मालूम हो कि गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत 23 लोगों के नाम आए थे.
बता दें सोहराबुद्दीन शेख एनाकाउंट मामले में 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले की सुनवाई शुरू से लेकर अंत तक एक ही जज करेंगे और मामले को गुजरात से महाराष्ट्र शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन जस्टिस लोया की मौत के बाद इस मामले की जांच के लिये जेटी उत्पत को ये केस सौंपा गया. जेटी उत्पत ने अमित शाह समेत 23 आरोपियों को इस मामले में कोर्ट में उपस्थित न होने पर फटकार लगाई जिसके बाद जेटी उत्पत का ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद इस केस को एमबी गोस्वी को सौंपा गया. एमबी गोस्वी ने सोहराबुद्दीन शेख मामले में अमित शाह को सभी आरोपों से बरी कर दिया. जस्टिस गोस्वी ने कहा कि अमित शाह को राजनितिक कारणों से फंसाया जा रहा है.
गौरतलब है कि लोया 2005 में सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में जांच कर रहे थे. ये मामला था कि, सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी को को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया था. साथ ही शेख के साथी व सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में गवाह माने जा रहे तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा मार डाला गया था.
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