नई दिल्ली: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघुकथाकार थे। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार में से एक हैं। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक दिखती है। शरतचंद्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक भाषांतरित लेखक है। प्यारी पंडित की पाठशाला शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 17 […]
नई दिल्ली: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघुकथाकार थे। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार में से एक हैं। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक दिखती है। शरतचंद्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक भाषांतरित लेखक है।
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 17 सितम्बर 1876 में हुगली जिले के देवानन्दपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की 9 संतानों में से एक थे। उनका बचपन देवानन्दपुर में तथा कैशोर्य भागलपुर में व्यतीत हुआ। 5 वर्ष की अवस्था में देवानन्दपुर के ‘प्यारी पंडित की पाठशाला’ में प्रवेश कराया। नाना केदारनाथ गांगुली का आदमपुर में अपना मकान था। नाना के कई भाई थे।
शरतचन्द्र ने कई उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकान्त, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि शामिल है। बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर “पथेर दावी” उपन्यास लिखा। पहले यह “बंग वाणी” में उपन्यास के रूप में निकाला, फिर पुस्तकाकार छपा तो 3 हजार का संस्करण तीन महीने में समाप्त हो गए। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इस पुस्तक को जब्त कर लिया।
उनके कुछ उपन्यासों पर कई हिन्दी फिल्म भी बनी है। इनके उपन्यास चरित्रहीन पर आधारित 1974 में इसी नाम पर फिल्म बनी थी। उसके बाद देवदास को आधार बनाकर देवदास फिल्म का निर्माण 3 बार हो चुका है। पहली देवदास कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत की गई है। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के कई रचनाओं का भारतीय भाषाओं में 50 अधिक फिल्मों में रूपान्तरण हुआ हैं।
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