देश-प्रदेश

शहीदी दिवस: जानिए शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के जीवन में संयोग, और इनके नाम के पीछे की कहानी

नई दिल्ली. आज पूरे देश में शहीद भगत सिंह की याद में शहादत दिवस मनाया जा रहा हैं. देश की आजादी में भगत सिंह की अहम भूमिका रही थी. देश की
आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू देश के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए. भगत सिंह को शहीद हुए
87 साल हो चुके हैं. लेकिन वह आज भी हमारे दिल में हैं. आज हम शहीदी दिवस के मौके पर हम आपको सुना रहे हैं, शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के
नामकरण की कहानी.

भगत सिंह
शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में लायलपुर जिले के बंगा में हुआ, जो अब पाकिस्तान में है. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम
विद्यावती था. भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था. भगत सिंह के जन्म के दिन उनके पिता और चाचा जेल से रिहा होकर आए थे. घर में
भगत सिंह के जन्म पर पापा और चाचा की रिहाई से पूरे घर में खुशी का माहौल था. घर के सभी सदस्यों ने बच्चे को भग्यशाली माना. जिसके बाद परिवार ने
आम सहमति से बच्चे का नाम भगत सिंह रखा. भगत सिंह ने केवल 23 साल की जिंदगी में वो कर दिखाया जो बड़े बड़े नही कर पाए. भगत सिंह में बचपन से
ही देश प्रेम की भावना रही थी. भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित रहे.

राजगुरू
शहीद राजगुरू का जन्म 24 अगस्त, 1908 को खेड़ा पुणे (महाराष्ट्र) में पण्डित हरिनारायण राजगुरु और पार्वती देवी के घर हुआ था. राजगुरू का पूरा नाम शिवराम
हरिनारायण राजगुरु लिखते था. राजगुरू कोई उपनाम नहीं है, बल्कि एक उपाधि है.

सुखदेव
सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना जिले में हुआ था. सुखदेव के पिता का नाम रामलाल था. माता का नाम रल्ली देवी था. इनके जन्म
से 3 महीने ही इनके पिता का निधन हो गया था. सुखदेव भगत सिंह के दोस्त थे. सुखदेव ने ही लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की ठानी थी.

देश के तीनों अमर शहीदों का जन्म एक ही साल में हुआ था. देश के लिए तीनों एक दिन शहीद हुए थें. इनकी शहादत को देश का हर इंसान आज तक भी नहीं भूल पाया है और आनी वाली कई सदियों तक नहीं भूल पाऐगा. 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की शहादत को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

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Aanchal Pandey

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