नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली संगीतकार थी। वर्ष1974 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय संगीतकार है, वह पहली भारतीय महिला थी जिन्होंने 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रदर्शन किया। 10 साल की उम्र में किया पहला डिस्क रिकॉर्ड श्रीमती एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी का जन्म […]
नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली संगीतकार थी। वर्ष1974 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय संगीतकार है, वह पहली भारतीय महिला थी जिन्होंने 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रदर्शन किया।
श्रीमती एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितंबर 1916 में तमिलनाडु के मदुरै शहर में हुआ। वह छोटी आयु से संगीत का शिक्षण आरंभ किया और 10 साल की उम्र में ही अपना पहला डिस्क रिकॉर्ड किया। इसके बाद आपनी मां शेम्मंगुडी श्रीनिवास अय्यर से कर्णाटक संगीत में तथा पंडित नारायणराव व्यास से हिंदुस्तानी संगीत में उच्च शिक्षा ग्रहण की। आपने 17 साल की उम्र में चेन्नई ही विख्यात ‘म्यूज़िक अकाडमी’ में संगीत कार्यक्रम पेश किया। इसके बाद मलयालम से लेकर पंजाबी तक भारत की कई भाषाओं में गीत रिकॉर्ड किए।
श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी ने कई फिल्मों में भी काम किया। इनमें सबसे ज्यदा 1945 के मीरा फिल्म यादगार है। यह फिल्म मुख्य रुप से तमिल तथा हिन्दी में बनाई गई थी। इनमें कई प्रसिद्ध मीरा भजन गाए।
कई मशहूर संगीतकारों श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी की कला की तारीफ की है। भारत के कई प्रसिद्ध नेता जैसे महात्मा गांधी और पंडित नेहरु भी इनके संगीत के प्रशंसक थे। एक अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा कि अगर श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी “हरि तुम हरो जन की भी” तब भी उनके भजन किसी और के गाने से अधिक सुरीला लगेगा। श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी को कला क्षेत्र में “पद्म भूषण” से 1954 में सम्मानित किया गया।
आप पहली भारतीय है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा में संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया तथा आप पहली महिला है, जिनको कर्णाटक संगीत का सर्वोत्तम पुरस्कार और संगीत कलानिधि प्राप्त हुआ। साल 1998 में भारत का सर्वोत्तम नागरिक पुरस्कार और भारत रत्न प्रदान किया गया।
वर्ष 1954 में पद्मभूषण।
वर्ष 1956 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।
वर्ष 1968 में संगीत कलानिधि।
वर्ष 1974 में मैग्सेसे एवॉर्ड।
वर्ष 1975 में पद्म-विभूषण।
वर्ष 1988 में कालीदास सम्मान।
वर्ष 1990 में इंदिरा गांधी एवॉर्ड।
वर्ष 1998 में भारत रत्न मिला।
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