नई दिल्ली. दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत आज पौने दो लाख करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर अपना फैसला सुनाते हुए सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया है. यूपीए शासनकाल में भ्रष्टाचार का यह मामला बड़े घोटालों की गिनती में आता है. कथित तौर पर यह 1.76 लाख करोड़ रुपये का घोटाला था. यूपीए शासनकाल में दूरसंचार मंत्री रहे द्रमुक नेता ए राजा को भारत के तत्कालीन महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) की रिपोर्ट के बाद 2011 में जेल भेजा गया था. 1.76 लाख करोड़ का यह घोटाला आमजनता के बीच भी काफी चर्चित रहा था. हम आपको बता रहे हैं क्या था ये पूरा मामला, कौन थे मुख्य आरोपी सहित पूरा मामला.
क्या था 2जी घोटाला-
2जी घोटाला साल 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद सामने आया था. इस घोटाले ने भारतीय राजनीति में उथल पुथल मचा दी थी. कैग की रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए गए थे. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी के बजाय पहले आओ पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें कैग के मुताबिक सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था. कैग रिपोर्ट का कहना था कि अगर नीलामी के आधार पर लाइसेंस दिये जाते तो सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होते. ए राजा पर आरोप थे कि उन्होंने 2001 की दरों पर स्पेक्ट्रम लाइसेंस जारी कर दिए थे. इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय सहित तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर भी सवाल उठे थे. ए राजा पर अपनी पसंदीदा कंपनियों को पुरानी दरों पर लाइसेंस देने के आरोप थे.
कौन थे मुख्य आरोपी-
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए राजा के अलावा कई राजनीतिक और उद्योग जगत से जुड़ी हस्तियों पर भी मामला चला था. ए राजा के अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को भी जेल जाना पड़ा था.
कनिमोझी-
कनिमोझी राज्यसभा सांसद थीं. उनपर ए राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप था. इन पर आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से 200 करोड़ की रिश्वत ली थी. बदले में ए राजा ने शाहिद बलवा को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया.
सिद्धार्थ बेहुरा-
ए राजा के कार्यकाल में सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई का आरोप था कि बेहुरा ने ए राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया और उनकी मदद की. बेहुरा भी ए राजा के साथ ही 2 फ़रवरी 2011 को गिरफ़्तार हुए थे.
आर के चंदोलिया-
ए राजा के निजी सचिव आर के चंदोलिया पर कई ऐसी कंपनियों को स्पेक्ट्रम दिलाने के आरोप थे जोकि लाइसेंस मिलने के दायरे में नहीं आती थीं. लेकिन ए राजा की मेहरबानी से वे उन्हें स्पेक्ट्रम दिलाने में कामयाब हो गए. चंदोलिया की गिरफ्तारी भी ए राजा के साथ ही हो गई थी.
शाहिद बलवा-
स्वॉन टेलिकॉम के महाप्रबंधक शाहिद बलवा ए राजा के कामों से लाभ उठाने वालों में प्रमुख हैं. सीबीआई का आरोप है कि बलवा को जायज से कम कीमतों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया. शाहिद ने कनिमोझी के लिए 200 करोड़ की रिश्वत देकर स्पेक्ट्रम काफी कम कीमत में हासिल किया था.
संजय चंद्रा-
यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक की कंपनी भी कम कीमत पर स्पेक्ट्रम की लाभार्थी हुई थी. यहां से सस्ते स्पेक्ट्रम हासिल कर संजय चंद्रा की कंपनी ने इसे विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमाया था. संजय चंद्रा 20 अप्रैल 2011 को जेल गए थे.
इनके अलावा विनोद गोयनका, गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा, हरी नायर, राजीव अग्रवाल, आसिफ बलवा, मोरानी आदि पर इस घोटाले के लाभार्थी होने के आरोप थे. यह घोटाला इतना चर्चित हुआ कि यूपीए सरकार को इस पर सफाई देते नहीं बनी. 2014 में यूपीए को सत्ता से बाहर होना पड़ा.
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