जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए कॉलेजियम ने सबसे पहले जनवरी में सिफारिश भेजी थी लेकिन केंद्र ने अप्रैल में इसे वापस भेज दिया. कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश दोबारा भेजी तो अब जस्टिस जोसेफ को जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और जस्टिस विनीत सरन के बाद तीसरे नंबर पर रखा गया है जिससे वो इन दोनों के भी जूनियर हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक सोमवार को कोर्ट का कामकाज शुरू होने से पहले कुछ जज चीफ जस्टिस के पास अपना विरोध दर्ज कराएंगे.
नई दिल्ली. जस्टिस के एम जोसेफ और विवाद का साथ छूटता नहीं दिख रहा. सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने पर सरकार की रजामंदी के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के कई जज सरकार से नाराज़ हैं. सूत्रों के मुताबिक सोमवार को कोर्ट का कामकाज शुरू होने से पहले कुछ जज चीफ जस्टिस के पास अपना विरोध दर्ज कराएंगे. उनके विरोध की वजह जस्टिस के एम जोसफ के प्रति सरकार के रवैये को लेकर है, क्योंकि जस्टिस जोसफ को सरकार ने जो वारंट जारी किया है उसमें उनको तीसरे नंम्बर पर रख गया है.
दरअसल केंद्र सरकार ने पहले तो उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट लाने की कोलेजियम की सिफारिश को पहले तो महीनों लटकाए रखा. दूसरी बार सिफारिश भेजने के बाद सरकार को ‘संवैधानिक मजबूरी’ के तहत जस्टिस जोसफ के नाम को मंज़ूरी देनी पड़ी. लेकिन केंद्र सरकार को शायद इतने पर ही तसल्ली नहीं हुई. सरकार ने जस्टिस जोसफ को सबसे आखिर में शपथ दिलाने का वारंट जारी कर दिया. नियम के मुताबिक़ एक ही दिन अगर कई जज शपथ लेते हैं तो उनके शपथ लेने का क्रम ही सीनियरिटी का आधार बनता है.
जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए कॉलेजियम ने सबसे पहले जनवरी में सिफारिश भेजी थी लेकिन केंद्र ने अप्रैल में इसे वापस भेज दिया. कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश दोबारा भेजी तो अब जस्टिस जोसेफ को जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और जस्टिस विनीत सरन के बाद तीसरे नंबर पर रखा गया है जिससे वो इन दोनों के भी जूनियर हो गए हैं.