Kissan Andolan Update : हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के 300 से अधिक पुलिसकर्मा बूरी तरह घायल हुए हैं. जिसके बाद दिल्ली पुलिस एक्शन में आ गई है और किसानों पर लगातार धरना खत्म करने का दबाव बना रही है. इस कड़ी में गुरुवार की शाम को यूपी के डीएम ने गाजीपुर बॉर्डर को खाली कराने का आदेश दे दिया
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा की गुंज ने किसान आंदोलन की नीव हिला कर रख दी है. दरअसल, हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के 300 से अधिक पुलिसकर्मा बूरी तरह घायल हुए हैं. जिसके बाद दिल्ली पुलिस एक्शन में आ गई है और किसानों पर लगातार धरना खत्म करने का दबाव बना रही है. इस कड़ी में गुरुवार की शाम को यूपी के डीएम ने गाजीपुर बॉर्डर को खाली कराने का आदेश दे दिया था. जिसके चलते सुरक्षाबलों और रैपिड फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई थी. लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर देर रात तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे का अंत वैसा नहीं हुआ, जिसकी तस्वीर शाम से ही दिख रही थी. बल्कि किसान आंदोलन में एक नया टर्निंग प्वाइंट देखने को मिला है.
आदेश के बाद गुरुवार शाम को ही गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की टीम एक्शन में दिख रही थी. लेकिन, किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू ने ऐसा टर्निंग प्वाइंट दिया कि पुलिस फोर्स को रात में ही लौटना पड़ा गया. दरअसल, राकेश टिकैत ने मीडिया से रोते हुए कहा था कि ‘मैं अब पानी नहीं पीऊंगा। मैं केवल वही पानी पीऊंगा जो गांवों से किसानों द्वारा लाया गया है’ इसके बाद रात राकेश टीकैट को अलग-अलग हिस्सों से समर्थन मिलने लगा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की ओर कूच करने लगे. वहीं अब करीब 5000 से अधिक किसान उनका समर्थन करने के लिए इकट्ठा हो गए हैं.
बता दें कि नरेश टिकैत ने एक वीडियो जारी कर किसानों का आव्हान किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, हरियाणा के गांव-गांव से किसान भाई ग़ाज़ीपुर बॉर्डर की तरफ चल पड़े हैं. अब तो तीनों काले कानूनों का निपटारा करके ही घर लौटेंगे. बाबा टिकैत का एक-एक सिपाही दिल्ली कूच करे!’ इसके बाद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी और सैकड़ों सुरक्षाकर्मी देर रात यूपी गेट पर फ्लाईओवर के नीचे से गुजरने वाले दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और लिंक रोड पर थे. इधर, लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों को एक बार फिर से कांग्रेस, आरएलडी समेत कई दलों के नेताओं का समर्थन मिला. इन सबके चलते पुलिस को पीछे हटना पड़ा और वापस लौटना पड़ा.