कर्जमाफी, गन्ना का बकाया बिल चुकाने, बिजली के बढ़े दाम वापस लेने सहित 21 सूत्री मांगों के साथ पदयात्रा कर दिल्ली पहुंचे हजारों किसानों ने बुधवार तड़के अपना आंदोलन खत्म कर दिया. केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को शीघ्र पूरा किया जाने का आश्वासन दिया है.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह किसान क्रांति यात्रा को आखिरकार दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दे दी जिसके बाद से पुलिस बल और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध थम गया है. ये आंदोलन तब खत्म हुआ जब हजारों किसान दिल्ली के किसान घाट पहुंच गए. दिल्ली में प्रवेश कर पाने को बाद भारतीय किसान संघ(बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत ने किसानों की जीत बताते हुए कहा कि बीजेपी अपने उद्देश्य में विफल हुई है. उन्होंने कहा कि-‘सभी कठिनाइयों के बावजूद किसान जुटे रहे. हम अब 12 दिनों से मार्च कर रहे हैं. किसान थके हुए हैं. हम सरकार से अधिकारों की मांग जारी रखेंगे, लेकिन अब हम पदयात्रा खत्म कर रहे हैं और सभी घर लौट रहे हैं.’
प्रवेश की इजाजत मिलने के बाज हजारों की संख्या में किसान 200 से अधिक ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान घाट पहुंचे. किसान रात दो बजे किसान घाट पहुंचे थे. जबकि मंगलवार को उन्हें पुलिस ने दिल्ली-यूपी की सीमा पर रोक दिया था. जिसके बाद पुलिस के साथ झड़प में कई किसान घायल भी हो गए थे. बता दें कि इस दौरान किसानों ने अपनी कुल 15 मांगें केंद्र सरकार के सामने रखीं जिनमें कर्ज माफी के अलावा फसल का सही मूल्य, बिजली की कीमत दर में छूट इत्यादि शामिल हैं. बता दें कि सरकार ने इन मांगों को अविलंब पूरा किया जाने का आश्वासन दिया.
गौरतलब है कि आंदोलन कर रहे किसानों ने 10 दिन पहले उत्तराखंड के हरिद्वार से अपनी पदयात्रा शुरु की थी लेकिन मंगलवार को जब ये यात्रा दिल्ली यूपी की सीमा पर पहुंची तो वहां उन्हें तैनात सुरक्षा बल का सामना करना पड़ा.
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