Kisan Andolan Update: केंद्र सरकार और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध अब अपने चरम पर पहुंच चुका हैं, वहीं आज किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को देखते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि फिलहाल, आप कृषि कानूनों पर रोक लगाएं. यदि आप नहीं लगाएंगे तो फिर हम रोक लगा देंगे.
नई दिल्ली : देश की राजधानी नई दिल्ली की सड़कों पर पिछले 48 दिनों से किसानों का प्रर्दशन जारी है, जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. केंद्र सरकार और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध अब अपने चरम पर पहुंच चुका हैं, वहीं आज किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को देखते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि आप कृषि कानूनों पर रोक लगाएं. यदि आप नहीं लगाएंगे तो फिर हम रोक लगा देंगे. इसके जवाब में जब याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ विवादित हिस्सों पर रोक लगाएं, तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
CJI- हम बहुत निराश हैं. पता नहीं सरकार कैसे मसले को डील कर रही गया? किससे चर्चा किया कानून बनाने से पहले? कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है. क्या बात हो रही है?
एटॉर्नी जनरल- कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी. कई लोगों से चर्चा की. पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं.
CJI- यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था
CJI- आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है. लोग कह रहे हैं कि कोर्ट को क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं. लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं. एक साझा हल निकले. अगर आपमें समझ है तो फिलहाल कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए. इसके बाद बात शुरू कीजिए. हमने भी रिसर्च किया है. एक कमिटी बनाना चाहते हैं.
सॉलिसीटर जनरल- बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं
CJI- हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे. इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं. अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं. आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे.
सॉलिसीटर जनरल- बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं
CJI- हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे. इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं. अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं. आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे.
CJI- आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं. लोग मर रहे हैं. आत्महत्या कर रहे हैं. हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है. खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं. किसी को इस पर कहना है तो कहे.
CJI- चाहे आपको हम पर भरोसा हो या नहीं. हम देश का सुप्रीम कोर्ट हैं. अपना काम करेंगे
याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे- सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए
CJI- नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे
CJI- कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं. लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे.
CJI- हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है.
साल्वे- कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा. सब कमिटी के सामने जाएंगे
CJI- यही हम चाहते हैं. लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता. हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे. यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें.
दरअसल, बात यह है कि सरकार और किसानों की आठवीं दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही, क्योंकि एक तरफ किसान अपनी मांग यानी कानूनों की वापसी पर अटल हैं तो सरकार इसके अलावा हर परेशानी को सुनने को तैयार हैं. ऐसे में दोनों पक्षों के बीच चल रहा गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि अगली वर्ता की तारीख 15 जनवरी रख दी गई है.
Kisan Andolan Update: सरकार और किसानों की आठवीं बैठक भी रही बेनतीजन, 15 जनवरी को होगी अलगी वर्ता