नई दिल्ली : किसान आंदोलन और किसानों से जुड़े सभी मुद्दों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है, जिस पर सभी की तेज नजरें डटी हुई हैं. दरअसल, कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके चलते अब सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुनवाई हो रही है. बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि फिलहाल आप कानूनों पर रोक लगाएं, अगर आप नहीं लगाते हैं तो हमें लगानी पड़ेगी. कोर्ट ने आगे कहा,अगर आंदोलन में किसी तरह की हिंसा हो जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, आंदोलन में लोग मर रहे हैं और हम इसका हल नहीं निकाल रहे हैं. इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से इसका समाधान निकालने के लिए कहा और किसानों के हित के उद्देश्य से एक समिति बनाने की बात कही. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई काफी अहम मानी जा रही है.
वहीं केंद्र ने फैसले से पहले कोर्ट में अपना हलफनामा दिया, जिसमें सफाई दी गई कि कानून बनने से पहले व्यापक स्तर पर चर्चा की गई थी. सरकार ने कहा कि कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है. हलफनामे में कहा गया कि देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है.
बता दें कि पिछले 49 दिनों से किसानों का प्रर्दशन जारी है, इस दौरान किसान और सरकार के बीच आठ बार वार्ता हो चुकी है, जो कि बेनतीजा सबित हुई. क्योंकि एक ओर किसानों अपनी मांग से पिछे नहीं हट रहे हैं, तो वहीं सरकार भी अपने फैसले पर अटल है.
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