नई दिल्ली : कृषि कानून के मसले पर किसान संगठनों और सरकार के बीच अब से कुछ देर में बातचीत शुरू होगी. किसान नेता विज्ञान भवन पहुंच चुके हैं. यहां किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को इन तीन कानूनों को वापस लेना होगा और एमएसपी पर लिखित गारंटी देनी होगी. दूसरी ओर […]
नई दिल्ली : कृषि कानून के मसले पर किसान संगठनों और सरकार के बीच अब से कुछ देर में बातचीत शुरू होगी. किसान नेता विज्ञान भवन पहुंच चुके हैं. यहां किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को इन तीन कानूनों को वापस लेना होगा और एमएसपी पर लिखित गारंटी देनी होगी. दूसरी ओर किसानों के मसले पर ही आज कांग्रेस हल्ला बोल करेगी, दिल्ली में जिसकी अगुवाई खुद राहुल गांधी करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
वकील एम एल शर्मा- मैंने किसानों से बात की है लेकिन किसान कमेटी के समक्ष पेश नही होंगे क्योंकि किसान कानूनों को रद्द करना चाहते हैं.
CJI- हम अंतरिम आदेश देंगे
CJI- किसी भी किसान की जमीन नही बिकेगी हम समस्या का समाधान चाहते है. हमारे पास अधिकार है जिसमें एक है कि हम कानून को सस्पेंड कर दें. कमिटी हम अपने लिए बना रहे है
कमिटी हमें रिपोर्ट देगी. कमिटी के समक्ष कोई भी जा सकता है. किसान या वो वकील के माध्यम से भी. हमें कल बताया गया कि 400 किसान संगठन है.
CJI- बार के सदस्य को कहा ( जो मामले में पेश हो रहे है) कि आप कोर्ट को सपोर्ट करे, कहा कि ये कोई राजनीति नही है. हम समस्या का समाधान चाहते है. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते है इस लिए कमिटी के गठन चाहते है.
CJI- हम ये चाहते है कि कोई जानकर व्यक्ति (कमिटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से डिस्कस करें कि दिक्कत कहाँ है. कल किसानों के वकील दवे ने कहा की किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नही निकालेंगे. अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते है तो कमिटी के समक्ष क्यों नही? अगर वो समस्या का समाधान चाहते है तो हम ये नही सुनना चाहते कि किसान कमिटी के समक्ष पेश नहीं होंगे
वकील एम एल शर्मा- इस मामले में PM किसानों से नही बात कर रहे है
CJI- इस पर हम कुछ नही कहेंगे.
MP वकील – विजयवाड़ा जल रहा है.
CJI- हम कानून को सस्पेंड करना चाहते है लेकिन सशर्त. लेकिन अनिश्चितकाल के लिए नही. हम कोई नकारात्मक इनपुट नही चाहते हैं.
वकील ए पी सिंह- किसानों को कॉन्फिडेंस में लेना होगा.
CJI- हम आपकी बात को रिकॉर्ड पर रख रहे है जिसमें आप कह रहे है कि धरने में महिलाएं, बच्चे और बुजुगों शामिल नही होंगे.
वकील साल्वे- किसानों के वकील दवे, फुल्का, प्रशांत और कोलिन पेश नही हुए, वो पेश नही हुए कोर्ट के समक्ष
CJI- ये सारे कहाँ गए?
वकील साल्वे- सिख फ़ॉर जस्टिस का प्रदर्शन में शामिल होना चिंता की बात है क्योंकि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता है. ये चारों वकील जो कह रहे थे कि वो 400 किसान संगठनों की तरफ से पेश हुए है, आज नही आये ये चिंता की बात है.
इस दौरान AG ने कमिटी के स्वागत किया, जो सुप्रीम कोर्ट बनाने की बात कह रहा है.
CJI ने पूछा क्या किसी संगठन ने दिल्ली के राम लीला मैदान में प्रदर्शन की इजाजत मांगी थी?
विकास सिंग- पुलिस ने उन्हें दिल्ली में आने की इजाजत नही दी.
CJI- क्या आपने अर्जी दी थी?
विकास सिंह- याचिककर्ता की तरफ से कहा प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही हो रहा है. प्रदर्शनकारियों को एक बड़ा इलाका दिया जाए ताकि वो विजिबल हो।
CJI- कौन सी जगह?
विकास सिंह- राम लीला मैदान.
किसान यूनियन के वकील नरसिम्हन- एक प्रतिबंधित संगठन इस आंदोलन को समर्थन कर रहा है.
कोर्ट ने AG से पूछा क्या आप इसके बारे में जानते है?
AG- मेरी जानकारी के मुताबिक एक प्रतिबंधित संगठन है जो मदद कर रहा है.
AG- करनाल में जो घटना हुई ये एक उदाहरण है.
AG- कर्नाटक और दूसरे दक्षिण राज्य में किसान बिल का समर्थन है. 26 जनवरी को किसान संगठन दिल्ली में इंट्री लेना चाहते है. वो कहाँ जाएंगे किसको पता. एक बार दिल्ली में आ जायेंगे तो उनको ट्रेक करना मुश्किल है.
बता दें कि कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस कड़ी में बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि फिलहाल आप कानूनों पर रोक लगाएं, अगर आप नहीं लगाते हैं तो हमें लगानी पड़ेगी. गौरतलब है कि पिछले 49 दिनों से किसानों का प्रर्दशन जारी है, इन दिनों किसानों और सरकार के बीच आठ बार वार्ता हो चुकी है, जो कि बेनतीजा सबित हुईं.