मणिपुर में हिंसा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जैसे ही हलात नियंत्रण में होता, वैसे ही मामला गर्म होते ही हिंसा भड़क जाती है। कांग्रेस लगातार इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रही है। ताजा हिंसक घटनाओं के बाद विपक्षी दल ने कहा कि प्रधानमंत्री राजधर्म का पालन न करने की संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
नई दिल्ली : मणिपुर में हिंसा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। जैसे ही हालात नियंत्रित होता है, वैसे ही हिंसा भड़क जाती है। हिंसा का ताजा मामला कंगपोकपी जिले से है, जहां पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय पर भीड़ ने हमला किया, क्योंकि अधिकारियों ने साइबोल गांव से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने में कथित रूप से लापरवाही दिखाई थी। इस घटना में कई लोग घायल हो गए और पुलिस कार्यालय में खड़ी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया। इस घटना को लेकर लगातार कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रही है। ताजा हिंसक घटनाओं के बाद विपक्षी दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री राजधर्म का पालन करने की संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
प्रधानमंत्री के मणिपुर दौरे का जिक्र करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘नरेंद्र मोदी जी, आप जनवरी 2022 में मणिपुर आए थे, वह भी भाजपा के लिए वोट मांगने के लिए। जबकि राज्य में हिंसा 3 मई 2023 को भड़की। 600 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में सैटेलाइट इमेज दिखाई गई हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे एक के बाद एक गांव खत्म होते जा रहे हैं।’
खरगे ने कहा कि हाल ही में कांगपोकपी जिले के पुलिस अधीक्षक पर हमले की घटना भी सामने आई है, जिसमें पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अक्षम और बेशर्म मुख्यमंत्री ने खेद जताया है, लेकिन राज्य के लोगों की अनदेखी की है।
खड़गे ने यह भी कहा कि राज्य को अस्थिर बनाए रखने में भाजपा का कुछ निजी स्वार्थ है। 250 से ज्यादा निर्दोष लोग मारे गए हैं और 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। 20 महीने से लोग कैंपों में रह रहे हैं। मणिपुर में शांति स्थापित करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है।
खड़गे ने कहा, ‘6 दिसंबर को मणिपुर में इंडिया (ब्लॉक) दलों ने मणिपुर मामले में तीन सामान्य और महत्वपूर्ण अनुरोध किए थे। पहला, वर्ष 2024 के अंत से पहले मणिपुर का दौरा करें, दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाएं और मणिपुर में सीधे हस्तक्षेप करें, लेकिन प्रधानमंत्री ने इनमें से कोई भी कदम नहीं उठाया। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री इनमें से कुछ करते भी हैं, तो वे संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते, क्योंकि उन्होंने राजधर्म का पालन नहीं किया।
मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार शाम को कांगपोकपी जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय पर भीड़ ने हमला कर दिया। यह हमला सैबोल गांव से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने में अधिकारियों की कथित विफलता के कारण किया गया। इस घटना में कई लोग घायल हो गए और पुलिस कार्यालय में खड़ी गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं।
अधिकारियों ने बताया कि सैबोल गांव से केंद्रीय बलों को हटाने में कथित विफलता को लेकर शुक्रवार शाम को कांगपोकपी जिले में पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर भीड़ ने हमला कर दिया। सैबोल गांव इंफाल पूर्वी जिले की सीमा पर स्थित है। इस हमले में कई लोगों के घायल होने की खबर है। सैबोल गांव में 31 दिसंबर को सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं पर कथित लाठीचार्ज के खिलाफ कुकी संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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