Wayanad Landslides: वायनाड में भूस्खलन का विनाशकारी कहर, 126 मौतें, केरल में भारी बारिश का रेड अलर्ट, 8 जिलों में स्कूल बंद

वायनाड: केरल के वायनाड में तेज बारिश के कारण सोमवार रात को 4 अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन हुआ। रात 2 बजे से सुबह 6 बजे के बीच हुए इस भूस्खलन में चार गांव—मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा—पूरी तरह से बह गए। घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां सभी मलबे में समा गईं।

मृतकों और लापता लोगों की संख्या

अब तक 126 लोगों की मौत हो चुकी है और 116 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबरें हैं। रेस्क्यू के लिए SDRF और NDRF की टीमें मौके पर हैं। कन्नूर से 225 आर्मी जवान वायनाड के लिए रवाना किए गए हैं और एयरफोर्स ने 2 हेलिकॉप्टर भेजे हैं, लेकिन भारी बारिश के कारण वे लौट गए हैं।

मुंडक्कई गांव में सबसे ज्यादा नुकसान

मुंडक्कई गांव सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां चूरलमाला को जोड़ने वाला पुल बह गया है, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। लगभग 250 लोग यहां फंसे हुए हैं। NDRF की 20 सदस्यीय टीम पैदल पहुंचने की कोशिश कर रही है। मुंडक्कई में 65 परिवार और एक टी एस्टेट के 35 कर्मचारी लापता हैं।

चूरलमाला से विदेशी नागरिकों का बचाव

चूरलमाला गांव में भी व्यापक नुकसान हुआ है। यहां दो विदेशी नागरिकों को बचाया गया है। जिला पंचायत अध्यक्ष समशाद मरईक्कर के मुताबिक, यहां मोबाइल नेटवर्क ठप है और पहुंचना मुश्किल हो गया है। रेस्क्यू टीमें एक-एक घर की जांच कर रही हैं।

आगामी मौसम और शोक की घोषणा

मौसम विभाग ने वायनाड, कोझिकोड, मल्लपुरम और कासरगोड में आज भी भारी बारिश का अनुमान जताया है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में और दिक्कत हो सकती है। केरल सरकार ने इस आपदा के मद्देनजर राज्य में 2 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

पांच साल पहले का हादसा

2019 में भी वायनाड के इन्हीं गांवों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी। 5 लोग अब तक लापता हैं और 52 घर तबाह हुए थे।

वायनाड में लैंडस्लाइड के बाद की तस्वीरें…

लापता लोगों को ढूंढ़ने के लिए स्थानीय लोग NDRF-SDRF की टीम की मदद कर रहे हैं।

लैंडस्लाइड के बाद पहाड़ के दोनों तरफ से पानी-मलबा आया और सब बहा ले गया।

NDRF और केरल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स लोगों को मलबे से निकालने में जुटी हुई है।
लैंडस्लाइड के बाद पानी का बहाव इतना तेज था कि कई गाड़ियां भी मलबे के साथ बह गईं।
पहाड़ से मलबों के साथ लकड़ियों का ढेर भी आया। हटाने के लिए क्रेन लगाया गया।
हादसे के बाद गांव नदी जैसा दिख रहा था। हर तरफ पानी, मिट्‌टी और मलबा दिख रहा था।

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