हाल ही में केन्या की सरकार ने 10 लाख भारतीय कौवों को मारने का आदेश दिया है. जानकारी है कि साल 1940 के आस-पास ये कौवे भारत से उड़कर केन्या पहुंचे थे. सरकार ने कौवों को मारने का आदेश देते हुए बताया कि ये कौवे केन्या की प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे हैं. और देश में आने वाले पर्यटकों को परेशान करते हैं और उनका खाना छीनकर उड़ जाते हैं. जिससे अब देश में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आ रही है.
दूसरे पक्षियों को भी करते हैं परेशान
केन्या में रहने वाले भारतीय कौवे देश में मौजूद दूसरे पक्षियों के लिए खतरा बने हुए हैं. ये कौवे अन्य छोटे पक्षियों का घोसला बिखेर देते हैं और उनके अंडे और चूजों को खा जाते हैं, जिससे बाकी पक्षियों की संख्या लगातार गिरावट हो रही है. लेकिन केन्या सरकार के इस फैसले से बाकी पक्षियों की संख्या के लिए खुशखबरी हो सकती हैं. लेकिन 10 लाख कौवों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी. केन्या वाइल्ड लाइफ सर्विस ने कहा- ये विदेशी कौवे हैं जो सालों से केन्या के लोगों के लिए परेशानियां बढ़ा रहे हैं.
केन्या के पक्षी विशेषज्ञ कोलिन जैक्स ने बताया- भारतीय कौवों के कारण देश में बड़ी संख्या में दूसरे पक्षियों की संख्या कम हुई है. ये कौवे केन्या के तटीय क्षेत्रों पर छोटे पक्षियों को परेशान करते हैं और उनके घोसले नष्ट कर देते हैं. कौवे यहीं पर नही रुकते वे छोटे पक्षियों के अंडे और उनके चूजों को भी खा जाते हैं. कौवों की इन हरकतों से केन्या में प्राकृतिक वातावरण बदल रहा है. क्योंकि यहां कीड़े- मकौडे की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. जिससे नई परेशानियां उपज रही हैं.
कौवों के कारण बिगड़ रही अर्थव्यवस्था
केन्या में भारतीय कौवों की बढ़ती आबादी के कारण देश की पर्यटक और होटल इंडस्ट्री को भी नुकसान हो रहा है. समुद्र तटीय इलाकों में स्थित होटल के मालिकों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. क्योंकि कौवे यहां आने वाले टूरिस्टों को परेशान करते हैं. उनका खाना छीनकर उड़ जाते हैं. इन हरकतों से टूरिस्ट यहां आने से कतरानें लगे हैं, और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी देखनें को मिल रहा है.