delhi ordinance : तमिलनाडु के सीएम का केजरीवाल को मिला साथ

नई दिल्ली : दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. दिल्ली के सीएम केजरीवाल लगातार विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर उनका समर्थन मांग रहे है. इसी बीच आज यानी 1 जून को केजरीवाल ने तमिलनाडु के […]

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delhi ordinance : तमिलनाडु के सीएम का केजरीवाल को मिला साथ

Vivek Kumar Roy

  • June 1, 2023 7:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली : दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. दिल्ली के सीएम केजरीवाल लगातार विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर उनका समर्थन मांग रहे है. इसी बीच आज यानी 1 जून को केजरीवाल ने तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से मुलाकात की.

स्टालिन का मिला समर्थन

दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से मिलने के बाद केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने कहा कि अगर यह अध्यादेश राज्यसभा में पास नहीं होता है तो जनता में बहुत कड़ा संदेश जाता है. इसी कड़ी में उन्होंने आगे कहा कि पूरा विपक्ष मिलकर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरा सकते है. इसी का साथ उन्होंने कांग्रेस से भी अपील की अध्यादेश के खिलाफ समर्थन करे. कुछ दिन पहले केजरीवाल कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. केजरीवाल को पूरा भरोसा है कि कांग्रेस हमारा समर्थन करेगी.

मुलाकात के बाद तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा कि बीजेपी दिल्ली में केजरीवाल को काम करने नहीं दे रही है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के काम में अड़ंगा लगाती रहती है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में डीएमके इसका विरोध करेगी.

केंद्र सरकार लेकर आई है अध्यादेश

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

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