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बच्चो को मोबइल फोन की लत से रखे दूर वरना डिप्रेशन का हो सकते है शिकार

नई दिल्ली: आज के दौर में ज्यादातर बच्चे स्मार्टफोन और टैबलेट सहित कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं. जिसका बच्चों की सेहत पर काफी असर पड़ता है. मोबइलफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों को इसकी लत भी लग जाती है जिसकी वजह से बिना मोबाइल के खाना तक नहीं खाते हैं. ऐसा करने […]

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  • October 18, 2023 11:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: आज के दौर में ज्यादातर बच्चे स्मार्टफोन और टैबलेट सहित कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं. जिसका बच्चों की सेहत पर काफी असर पड़ता है. मोबइलफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों को इसकी लत भी लग जाती है जिसकी वजह से बिना मोबाइल के खाना तक नहीं खाते हैं. ऐसा करने से बच्चों की मेंटल हेल्थ भी खराब होती जा रही है और ये बहुत खतरनाक साबित हो सकती है. टेक्नोलॉजी, गैजेट्स और डिजिटल प्लेग्राउंड से बच्चों में एंजाइटी और डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ रहा है. जिसकी वजह से न केवल कम उम्र में उनकी आंखों की रोशनी प्रभाव में आ रही. बल्कि उनके नींद के पैटर्न और चिंता का स्तर भी प्रभाव में आ रहा है और इनमें डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ रहा है.

आपनाएं ये टिप्स

डिजिटल कंटेंट की लिमिट तय करें
पहले तो यह देखे की आपका बच्चा देख क्या रहा है फिर उसके डिजिटल कंटेंट की एक लिमिट तय करें. जिन चीजों की वजह से बच्चों की सेहत पर असर पड़ता हैं उन चीजों को न देखने दें. बच्चों के डिजिटल एक्सपोज़र के लिए टाइम कम से कम दें.

डाइट प्लान करें,
बच्चों के लिए डाइट प्लान करें, जिससे उनकी ओवर ऑल हेल्थ बेहतर हो सकें.

बाहर खेलने के लिए ले जाएं.

फोन की लत छुड़ाने के लिए बच्चों को बाहर खिलाने के लिए ले कर जाएं. बच्चों को महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल करे और उनको प्रोसहित करें. ताकि उसकी क्रिएटिविटी को बढ़ाया जा सके. बच्चों को मानसिक तौर पर स्वास्थ्य करने के लिए पेरेंट्स को सुरक्षा कवच के रूप में काम करना चाहिए. जिससे आप उनकी फोन की आदत को छुड़वा पाऐगे और उनकी हेल्थ को बेहतर बना पाएंगे.

बच्चों को बेहद प्यार और दुलार

बच्चों को बेहद प्यार और दुलार करे जिससे आप उनकी गलत आदतों को छुड़वा पाएंगे. बच्चों के मन में झांकने की कोशिश करें तथा उनसे खुलकर बात करेंगे तो बच्चे आपसे अपनी परेशानी शेयर कर पाएंगे.

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखे

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और उनका शेड्यूल बेहतर करने की कोशिश करे. उन्हे खुलकर जीने दें और सही रास्ता दिलाएं. ताकि उनकी मेंटल हेल्थ बेहतर हो सकें और वे सही गलत का फैसला कर पाए.

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