नई दिल्ली। सावन का सबसे प्रमुख पर्व कावड मेला 14 जुलाई यानी आज से शुरु हो रहा है. इस कावड़ मेले का आयोजन उत्तराखंड के हरिद्वार में 26 जुलाई तक किया जाएगा। देशभर से कावड़िये पैदल या डाक कावड के द्वारा हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेने पहुंचते हैं. इसी बीच दिल्ली और एनसीआर से भी भारी संख्या में कावडिये उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री धाम, और ऋषिकेश से पवित्र गंगाजल लेने जाते हैं.
बता दें कि दिल्ली से कावड़ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली पुलिस ने कड़े इंतजाम किए हैं. दिल्ली पुलिस ने उन रास्तों को लेकर जानकारी दी है जिन रास्तों से कावड लेकर श्रद्धालु गुजरते हैं. उत्तर पूर्वी जिले की पुलिस ने बताया है कि हर साल बड़ी संख्या में कांवडिए दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से जाते हैं. उसमें से कुछ श्रद्धालु जो कि दिल्ली से उत्तराखंड की ओर बढ़ते हैं. वहीं कुछ श्रद्धालु जो दिल्ली एनसीआर के रास्तों से आगे बढ़ते हैं.
दरअसल, जिन रास्तों से कावडियों की भारी संख्या में आवाजाही रहती है. उत्तर पूर्वी जिले की पुलिस ने उन रास्तों को चिन्हित किया है. जिसमें जी.टी रोड (केशव चौक से यमुना ब्रिज तक), वजीराबाद रोड (भोपुरा बॉर्डर से सिग्नेचर ब्रिज), आईएसबीटी, रोड नंबर 66 (गोकुलपुरी टी-पॉइंट से सीलमपुर टी पॉइंट), रोड नंबर 68, पुस्ता रोड शामिल है. इन रास्तों से कावड़ यात्रा के लिए श्रद्धालु गुजरते हैं.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने उन रास्तों को भी चिन्हित किया है जिन रास्तों से कावडिये राजधानी में प्रवेश और निकास करते हैं. जिनमें एंट्री पॉइंट भोपुरा बॉर्डर, केशव चौक, पुलिस स्टेशन नंद नगरी, जीटी रोड है. और जहां से कावड़िए दिल्ली से बाहर निकलते हैं उसमें वजीराबाद आयरन ब्रिज, सिग्नेचर ब्रिज, आईएसबीटी कश्मीरी गेट, पुराना लोहे का पुल के रास्ते शामिल है इन रास्तों पर दिल्ली पुलिस की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इसके साथ ही ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक डायवर्जन भी किया है. जिससे की कावड़ लेकर जा रहे श्रद्धालुओं और यातायात से जुड़ी समस्या ना हो. 14 जुलाई यानी गुरुवार से इन रास्तों पर कांवडियों की भीड़ देखने को मिलेगी.
वहीं, कावड यात्रा के लिए अलग-अलग संगठनों के द्वारा रास्तों पर शिविर भी लगाए गए हैं. इन शिविरों के जरिए कावड़ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को भोजन, विश्राम आदि की सुविधा दी जाती है. सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त 37 शिविर इन रास्तों पर लगाए गए हैं. जिसमें जिला प्रशासन की ओर से भी व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर नजर रखी जा रही है.
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