जम्मू-कश्मीर में आठ साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के चलते जहां पूरा देश गुस्से में हैं वहीं उस मासूम के गांववालों ने उसकी कब्र के लिए जमीन देने तक से इंकार कर दिया. जिसके बाद पीड़ित पिता ने गांव रसाला के आठ किलोमीटर दूर एक गेहूं के एक खेत में उसे दफनाया. समाज में बढ़ रही अमानवियता का पेश उदाहरण पेश करती ये रिपोर्ट...
जम्मू-कश्मीरः कठुआ में आठ वर्षीय रेप पीड़िता को मरने के बाद उसके गांव की जमीन तक नसीब नहीं हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गांव के लोगों ने बच्ची को दफनाने का विरोध किया. कहा गया कि बकरवाल मुस्लिम समुदाय इलाके से संबंध नहीं रखता. बच्ची की दादी ने बताया कि कब्र की आधी खुदाई करने के बाद गांव वालों ने बच्ची को दफनाने से इंकार कर दिया और हमसे चले जाने को कहा. उन्होंने दस्वावेजों का हवाला देते हुए कहा कि वह जमीन हमारी नहीं हैं.
जिसके बाद बच्ची को कठुआ के रसाना गांव से करीब आठ किमी की दूरी पर गेहूं के एक खेत में दफनाया गया. बच्ची के अन्य रिश्तेदारों के पास बनी उसकी कब्र के दोनों छोरों पर दो बड़े पत्थर रखे हैं. इस मामले पर बच्ची के एक रिश्तेदार का कहना है कि हमारी परंपरा के मुताबिक कब्र को तुंरत पक्का नहीं किया जाता। हम इसे तब पक्का करेंगे जब उसके माता-पिता अपने मवेशियों के साथ पहाड़ों का वार्षिक चक्कर लगाकर यहां लौट नहीं आते.
बता दें कि 17 फरवरी को बच्ची का शव बरामद होने के बाद उसके पिता उसे रसाना में ही दफनाना चाहते थे जहां पीड़ित पिता ने एक दशक पहले सड़क दुर्घटना में तीन बच्चों और मां को दफनाया था. पीड़ित पिता के एक रिश्तेदार के अनुसार कि बच्ची के कब्र के लिए जमीन देने वाले रिश्तेदार ने बताया कि बच्ची के मां-बाप एक दशक पहले ही एक हिंदू परिवार से वहां जमीन खरीद चुके हैं, लेकिन कुछ कानून प्रक्रियाओं के चलते जमीन खरीदारी के कागज नहीं मिल पाए. जिसके चलते गांव वालों को कब्र के लिए जमीन न देने का बहाना मिल गया.
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