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Karpuri Thakur: दो बार सीएम, एक बार उपमुख्यमंत्री, अब मरणोपरांत भारत रत्न, जानें कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर ?

नई दिल्लीः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। कर्पूरी ठाकुर को स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में याद किया जाता है। वह बिहार के एक बार उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे थे। वे बिहार के 11वां मुख्यमंत्री थे। लोकप्रियता के कारण […]

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Karpuri Thakur: दो बार सीएम, एक बार उपमुख्यमंत्री, अब मरणोपरांत भारत रत्न, जानें कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर ?
  • January 23, 2024 9:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्लीः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। कर्पूरी ठाकुर को स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में याद किया जाता है। वह बिहार के एक बार उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे थे। वे बिहार के 11वां मुख्यमंत्री थे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। आईए जानते हैं उनके बारें में

कर्पूरी ठाकुर के बारे में जानें

कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाला नेता माना जाता है। कर्पूरी ठाकुर का जन्म एक साधारण नाई परिवार में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। वे बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले थे। बताया जाता है कि पूरी जिंदगी उन्होंने कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना सियासी मुकाम हासिल किया। यहां तक कि आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा पाई थीं। उनका देहांत 17 फरवरी 1988 को हुआ था। उनके माता का नाम रामदुलारी ठाकुर और पिता का नाम गोकुल ठाकुर था।

राजनीति में कैसे हुई एंट्री

भारत को आजादी मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर अपने ही गांव के स्कूलों में पढ़ाया करते थे। राजनीति में प्रवेश करने के बाद पहली बार वो साल 1952 में सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े थे और ताजपुर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने बिहार के 11वें मुख्यमंत्री की शपथ सन् 22 दिसंबर 1970 को ली थी। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 22 दिसंबर 1970 से लेकर 2 जून 1971 तक रहा था। दूसरी बार उनका कार्यकाल 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक रहा था। वहीं वे उपमुख्यमंत्री के तौर पर 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक कार्यरत थे। बिहार के उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान वो शिक्षा मंत्री भी थे।

गरीबों के मसीहा माने जाते थे

कर्पूरी ठाकुर को गरीबों का मसीहा कहा जाता था। उन्होंने पिछड़ी जातियों के लिए सन् 1987 में सरकारी नौकरी में आरक्षण लागू किया था। साल 1777 में देवेंद्र प्रसाद यादव ने बिहार विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था ताकी कर्पूरी ठाकुर पुलपरास सीट से उपचुनाव लड़ सके। वहीं उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस के राजपाल यादव को 65,000 वोटों से हराया था। ठाकुर समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष भी चुने गए थे। उन्हें लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, देवेंद्र प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के मार्गदर्शक के तौर पर जाना जाता है।

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