देश-प्रदेश

Karpoori Thakur 100th Birth Anniversary: कौन थे कर्पूरी ठाकुर जिन्हें मिलेगा भारत रत्न

नई दिल्ली। बिहार के पूर्व सीएम जननायक कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को केंद्र सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न (Bharat Ratna) देने का एलान किया है। आज बुधवार (24 जनवरी) को जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती भी है और ठीक इससे एक दिन पहले मंगलवार (23 जनवरी) को केंद्र सरकार की तरफ से इसकी जानकारी दी गई है। बता दें कि भारत रत्न की घोषणा के बाद कर्पूरी ठाकुर के परिवार में खुशी का माहौल है।

कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का निर्णय किया गया है। उन्हें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए याद किया जाता है। कर्पूरी बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री दो बार मुख्यमंत्री और वर्षों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे। बता दें कि 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे थे। उन्हें ये सम्मान मरोणोपरांत दिया जाएगा।

राजनीति के कद्दावर नेता

केंद्र सरकार के द्वारा भारत रत्न का ऐलान करने के बाद कर्पूरी के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है। मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड़ लोगों की तरफ से सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं। बता दें कि कर्पूरी ठाकुर 1970 के दशक में दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार उपमुख्यमंत्री रह चुके है। वे स्वतंत्रता सेनानी के साथ – साथ शिक्षक भी थे। वह पिछड़े समुदाय से आते थे।

जदयू ने भी की थी मांग

केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया है। इस संबंध में राष्ट्रपति भवन की ओर से बयान जारी कर दी गई है। कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है। जानकारी दे दें कि जदयू ने भी भारत रत्न देने की मांग की थी। अब ऐलान हो जाने के बाद जदयू ने मोदी सरकार का आभार व्यक्त किया है।

कर्पूरी ठाकुर ने किए थे महत्वपूर्ण बदलाव

बिहार में पहली बार लागू की थी शराबबंदी- ठाकुर का सियासी करियर कई महत्वपूर्ण पड़ावों से भरा रहा। बिहार में पहली बार शराबबंदी का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उन्होंने 1977 में सीएम के रूप में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी।

पिछड़ों को दिया था आरक्षण- उस दौरान सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग जोर-शोर से उठ रही थी और मंडल आंदोलन से भी पहले सीएम रहते हुए कर्पूरी ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था।

अनिवार्य विषय के रूप में अंग्रेजी को हटाया- पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर का प्रभाव उनकी प्रशासनिक भूमिकाओं से परे तक फैला हुआ था। बता दें कि एक नेता के रूप में वो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उत्थान को लेकर बहुत चिंतित थे। मैट्रिक स्तर पर अनिवार्य विषय के रूप में अंग्रेजी को हटाकर वो चर्चा में आए थे।

Arpit Shukla

पत्रकारिता में 2 वर्ष का अनुभव। राजनीति, खेल और साहित्य में रुचि। twitter- @JournoArpit

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