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कर्नाटक: 20 साल पुराने स्कूटर से 66 हजार किलोमीटर का सफर, जानिए कलयुग के श्रवण कुमार के बारें में..

बेंगलुरु: त्रेतायुग के श्रवण कुमार के बारे में आप जरूर जानते होगें. लेकिन त्रेतायुग जैसे कलयुग में भी कई श्रवण कुमार हैं, जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. कर्नाटक के मैसूर जिले के दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार जो अपने पिता के दिए बीस साल पुराने स्कूटर से अपनी 73 वर्षीय मां को तीर्थ यात्रा करा रहें है. […]

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कर्नाटक: 20 साल पुराने स्कूटर से 66 हजार किलोमीटर का सफर, जानिए कलयुग के श्रवण कुमार के बारें में..
  • April 10, 2023 10:21 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरु: त्रेतायुग के श्रवण कुमार के बारे में आप जरूर जानते होगें. लेकिन त्रेतायुग जैसे कलयुग में भी कई श्रवण कुमार हैं, जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. कर्नाटक के मैसूर जिले के दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार जो अपने पिता के दिए बीस साल पुराने स्कूटर से अपनी 73 वर्षीय मां को तीर्थ यात्रा करा रहें है. डी कृष्णकुमार ने अब तक 66 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर तय कराकर अपनी मां चूड़ा रत्ना को देश के कई मंदिरों में दर्शन पूजन करे चुकें है।

मैसूर जिले से उन्होंने अपने मां-बाप से मिले पहले तोहफे बजाज स्कूटर से ये अनोखी यात्रा 16 जनवरी 2018 में शुरू की है. अपनी इस यात्रा के दौरान डी कृष्ण कुमार इन दिनों धार्मिक नगरी काशी के संकट मोचन मन्दिर से लेकर बाबा विश्वनाथ के दरबार तक अपनी मां को दर्शन करा रहे हैं. डी कृष्णकुमार ने बताया कि काशी के सभी मंदिरों में अपनी मां को दर्शन पूजन कराने के बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या, मथुरा जैसे तीर्थ क्षेत्र भी जाएंगे. इसके बाद भी जब तक उनकी मां की इच्छा पूरा नहीं होती, तब तक उनकी ये यात्रा यूं ही जारी रहेगी।

जनवरी में जॉब से दिया इस्तीफा

कृष्ण कुमार इस अनोखी यात्रा से पहले बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुके हैं. इस कंपनी में करीब 13 साल काम के बाद उन्होंने जनवरी के शुरुआत में अपने जॉब से इस्तीफा दिया. इसके बाद अपनी मां की सेवा करने में लग गए और मां के सेवा भाव के लिए उन्होंने शादी भी नहीं की।

यात्रा के दौरान किसी से नहीं लेते है मदद

कृष्ण कुमार कहते है कि जॉब के दौरान मिले सैलरी और सेविंग से मिलने वाले इंटरेस्ट से अपनी मां को यात्रा करा रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वह किसी तरह की कोई सहायता भी नहीं लेते हैं. कृष्ण कुमार अब तक नेपाल से म्यामार और कश्मीर से कन्याकुमारी तक कई प्रदेशों में अपनी मां के साथ यात्रा की है. उनकी मां चूड़ा रत्ना भी बेटे के इस सेवा भाव से काफी खुश हैं।

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