बेंगलुरु: दिवाली के दिन जहां देशभर में खुशियां मनाई जाती हैं, वहीं कर्नाटक का एक गांव अपने पूर्वजों को याद कर आज भी दिल सहम जाता है. लगभग 200 साल पहले कट्टरवादी मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान ने इसी गांव में दिवाली के दिन 800 हिंदुओं का नरसंहार कर दिया था। दो दिन के बाद आप […]
बेंगलुरु: दिवाली के दिन जहां देशभर में खुशियां मनाई जाती हैं, वहीं कर्नाटक का एक गांव अपने पूर्वजों को याद कर आज भी दिल सहम जाता है. लगभग 200 साल पहले कट्टरवादी मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान ने इसी गांव में दिवाली के दिन 800 हिंदुओं का नरसंहार कर दिया था।
दो दिन के बाद आप दिवाली का त्योहार मनाएंगे, लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक गांव ऐसा है जहां दिवाली के दिन मातम मनाया जाता है। दरअसल, कर्नाटक के मेलकोटे गांव का एक ऐसा खौफनाक इतिहास है। लगभग 200 साल पहले इस गांव में एक ऐसा नरसंहार हुआ था, जो आज भी यहां के लोगों के दिमाग में बसा हुआ है।
हमारे देश के कई इतिहासकार को नायक के तौर पर देखा जाता हैं. टीपू सुल्तान का इतिहास किताबों में ऐसा बताया गया है कि युद्ध के मैदान में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गया था, लेकिन टीपू सुल्तान की कई बाते छिपा देतें है. टीपू सुल्तान और मेलकोटे गांव का संबंध एक ऐसा काला इतिहास है, जिसे छिपाया गया है।
आज से लगभग 200 साल पहले मेलकोटे गांव में टीपू सुल्तान के आदेश पर दिवाली के दिन 800 हिंदुओं का नरसंहार किया गया था. आपको दरबारी इतिहासकारों की किताबों में यह जानकारी नहीं मिली होगी, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी मेलकोटे गांव के लोग ये इतिहास संजोकर रखते चले आए हैं. महान बताने वाले टीपू सुल्तान को दिवाली के दिन सच का आइना दिखाते हैं।
बेंगलूरू से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर मेलकोटे गांव स्थित है, लेकिन इसका इतिहास अब तक छिपाया गया. इस गांव में बड़ी संख्या में आयंगर ब्राह्मणों को टीपू सुल्तान ने मार दिया था. यह घटना कई सौ वर्ष पुरानी है जिसे इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दी गई. लेकिन कहते हैं कि मौखिक इतिहास कभी मरता नहीं है. पीढ़ी दर पीढ़ी वो इतिहास अब तक आया है और आज भी यहाँ के लोगों के मन में टीपू सुल्तान का वो खौफ बना हुआ है, जो उसने नरसंहार किया था।
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