बेंगलुरू। पीएम मोदी आज कर्नाटक के दौरे पर हैं। इस बीच उन्होंने चिक्काबल्लापुर में श्री मधुसूदन साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में भारत ने विकसित होने का संकल्प लिया है। कई बार लोग कहते हैं कि इतने कम समय […]
बेंगलुरू। पीएम मोदी आज कर्नाटक के दौरे पर हैं। इस बीच उन्होंने चिक्काबल्लापुर में श्री मधुसूदन साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में भारत ने विकसित होने का संकल्प लिया है। कई बार लोग कहते हैं कि इतने कम समय में देश का विकास कैसे होगा? देश के आगे इतनी सारी चुनौतियां हैं, इतना काम है, ये सब इतने कम वक्त में कैसे पूरा होगा? इन सभी प्रश्नों का उत्तर है, सबका प्रयास। हर भारतवासी के साझा प्रयास की वजह से ही ये संभव होने वाला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 9 सालों में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर काफी ईमानदारी और कुशलता से कार्य करने के प्रयास किया गया है। देश में मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में अनेक बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि चिक्काबल्लापुर आधुनिक भारत के आर्किटेक्ट में से एक सर एम. विश्वेश्वरय्या की जन्मभूमि है। अभी मुझे सर विश्वेश्वरय्या की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने का सौभाग्य मिला है। मैं इस पुण्य भूमि को सिर झुका कर प्रणाम करता हूं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि साझा प्रयास से हम भारत के विकास की दिशा में चमत्कारिक परिणाम ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा जन भागीदारी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। देश की इस विकास यात्रा में सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भी बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ऋषियों, आश्रमों, मठों की समृद्ध भूमि रही है। यहां अभी भी प्राचीन परंपराएं जीवंत हैं। यहां के धार्मिक संगठनों ने न सिर्फ धर्म और आस्था के संदेश को फैलाने में मदद की है, बल्कि गरीबों, पिछड़ों, आदिवासियों और समाज के अन्य वर्गों को भी सशक्त किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा सुविधाओं के जरिए गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अभी देश में करीब 10,000 औषधि केंद्र हैं और उनमें से 1,000 से अधिक केंद्र कर्नाटक में ही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गरीबों के हित में कार्य करने वाली हमारी सरकार ने कन्नड़ समेत सभी भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प दिया है। लंबे वक्त से देश में ऐसी राजनीति चली है, जिसमें गरीबों को सिर्फ वोट बैंक ही समझा गया है।