नई दिल्ली. Karnataka Hijab Row कर्नाटक के बाद अब दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में हिजाब बनाम गमछे की लड़ाई जारी है. आज इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. सभी की निगाहें फ़िलहाल हाईकोर्ट के फैसले पर अटकी हुई है. राज्य में तीन दिन तक स्कूल, कॉलेज बंद किए गए हैं और ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई की जा रही है. पिछले साल शुरू हुए इस विवाद ने अब हिंसक मोड़ भी अपना लिया है, कई जगहों पर पथराव और लोगों के बीच झड़प हुई है. मस्लिम महिलाऐं हिजाब पहनकर अपना विरोध दर्ज कर रहा ही है तो वहीँ हिन्दू छात्र भगवा गमछा डालकर अपना विरोध जता रहे है.
इस मामलें पर सरकार का कहना है कि स्कूल, कॉलेज पढ़ाई की जगह है, यहां धर्म का पालन नहीं किया जाना चाहिए। कर्नाटक के गृह मंत्रीअरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि स्कूल, कॉलेज में ना तो बच्चे हिजाब डालकर आ सकते है और ना ही भगवा गमछा। उन्होंने कहा कि स्कूल धर्म के लिए नहीं है, यदि किसी को धर्म को फॉलो करना है तो उसे विद्यालय नहीं आना चाहिए।
ऐसे में एक सवाल सभी के मन में उठता है कि क्या हिजाब या भगवा पहनकर स्कूल में नहीं जाया जा सकता? . याचिकर्ताओं ने भी अपने याचिका में कहा है कि ऐसा ना करने देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का हनन है. बता दें भारतीय सविधान के अनुछेद 14 में कहा गया है कि सभी नागरिक एक सामान है और सभी को समानता का अधिकार है, जबकि अनुछेद 25 से 28 तक सभी के धार्मिक स्वत्रंता की बात कही गई है.
भारतीय सविधान के अनुछेद 25 से लेकर 28 तक सभी को धार्मिक स्वंत्रता की आज़ादी है. अनुछेद 25 कहता है कि भारत के नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने और उसके प्रचार-प्रसार की आज़ादी है. लेकिन इसमें एक पेंच भी है. अनुछेद 25(1) के मुताबिक राज्य सरकार सार्वजनिक समानता को बनाए रखने के लिए इसमें प्रतिबंध लगा सकती है, सिर्फ सिख धर्म के लोगों के इसके तहत छूठ दी गई है. अनुछेद 25(2) के मुताबिक सिख धर्म के लोगों का कृपाण धारण करने और लेकर चलना धर्म का अंग माना जाएगा और उस पर प्रतिबंध नहीं लग सकता.
वही मौजूदा हिजाब मामलें में कोर्ट में याचिककर्ताओ की ओर से बोलते हुए वकील, देवदत्त कामत ने कहा कि इस्लाम धर्म में हिजाब को संस्कृति का एक अहम अंग माना गया है साथ ही इस्लाम के पवित्र कुरान की आयत 24.31 और 24.33 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम में सिर पर दुपट्टा रखना जरूरी है. देवदत्त कामत ने कोर्ट को साल 2016 के केरल केस में भी बताया कि कोर्ट ने दो मुस्लिम लड़कियों को सीबीएसई की AIPMT परीक्षा के दौरान हिजाब पहनने की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने उस समय हिजाब को इस्लाम का अंग माना था.
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