नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान नहीं होता है। अदालत ने इस आधार पर दो आरोपियों कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। मामला पिछले […]
नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान नहीं होता है। अदालत ने इस आधार पर दो आरोपियों कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। मामला पिछले साल सितंबर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में दर्ज हुआ था।
शिकायतकर्ता ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने रात में मस्जिद में घुस कर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 295A, 447, और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया। अब इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धारा 295A का संबंध उन अपराधों से है, जो जानबूझकर या फिर दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। जय श्री राम के नारे से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती है।
राज्य सरकार ने इस मामले में कोर्ट से अपील की थी कि और जांच किया जाए लेकिन अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी तक कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है, जिसमें पब्लिक ऑर्डर या फिर शांति पर असर पड़ा हो। बिना किसी ठोस कारण के इस तरह के मामले को जारी रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। इससे न्याय का हनन होगा।
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