नई दिल्लीः कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने और न पहनने को लेकर एक बार फिर राजनीति की शुरुआत हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की है, जिस पर भाजपा ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई है। कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय […]
नई दिल्लीः कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने और न पहनने को लेकर एक बार फिर राजनीति की शुरुआत हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की है, जिस पर भाजपा ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई है। कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय शैक्षणिक स्थलों की ‘धर्मनिरपेक्ष प्रकृति’ के बारे में चिंता पैदा करता है। बता दें, सिद्धरमैया ने शुक्रवार को जानकारी दी थी कि उन्होंने पहनावे और खाने की पसंद को निजी बताते हुए प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया है।
इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बोला कि सरकार युवाओं का धार्मिक आधार पर बंटवारा कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध वापस लेने का मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का निर्णय हमारे शैक्षणिक स्थलों की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को लेकर चिंता पैदा करता है।
शिकारीपुरा के विधायक ने बताया, ‘शिक्षण संस्थानों में धार्मिक पोशाक की अनुमति देकर सिद्धरमैया सरकार धार्मिक आधार पर युवाओं के दिमाग को बांटने को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है, जिससे समावेशी शिक्षा के माहौल में बाधा उत्पन्न हो सकती है। विभाजनकारी प्रथाओं पर शिक्षा को प्राथमिकता देना और एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना जरूरी है, जहां छात्र धार्मिक क्रिया के प्रभाव के बिना शिक्षाविदों पर ध्यान दे सकें।
इंडोनेशिया में इस्लाम सबसे बड़ा धर्म है और वक्त के साथ वहां रूढ़िवादिता बढ़ रही है। यही कारण है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में स्कूलों में छात्राओं के ड्रेस कोड में हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया है। खास बात ये है कि यह नियम सभी धर्म की छात्राओं पर लागू है। वहीं पूर्वी जावा में घटी इस घटना के बाद आरोपी अध्यापक को पद से हटाने की मांग की जा रही है।
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