Kargil War: आज यानी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रद्धांजलि देने लद्दाख के कारगिल जाएंगे। भारत के वीरों ने अपनी जांबाजी और अदम्य वीरता से पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी। कारगिल युद्ध के दौरान राजपुताना राइफल्स की टुकड़ी का नेतृत्व कैप्टन हनीफुद्दीन कर रहे थे। हनीफ मुस्लिम सोल्जर थे लेकिन वो राजपुताना राइफल्स का कमान संभाल रहे थे। हनीफ राजा रामचंद्र की जय बोलते हुए पाकिस्तानी आर्मी को ललकार रहे थे। सटीक लोकेशन मिले इसलिए उन्होंने अपने सीने पर गोली खाई और शहीद हो गए।
कैप्टन हनीफ उद्दीन के पिता अजीज उद्दीन मुस्लिम और मां हेमा अजीज हिंदू थीं। 23 अगस्त, 1974 को उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। 8 साल की उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया। 1996 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी उन्होंने प्रवेश किया और 1997 को कैप्टन बने। आर्मी जॉइन करने के महज दो सालों के अंदर वो कारगिल युद्ध लड़ने गए। युद्ध के दौरान पॉइंट 5590 को कैप्चर करने के लिए उन्होंने सटीक लोकेशन का पता करने की जिम्मेदारी ली। उन्हें दुश्मनों की जानकारी तो मिल गई लेकिन खुद सीने पर गोली खा कर शहीद हो गए। कहा जाता है कि युद्ध के कारण कई दिनों तक उनकी बॉडी नहीं आ पाई थी। भारत सरकार ने कैप्टन हनीफ उद्दीन को वीर चक्र से सम्मानित किया था।
भारत के नायकों ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को हराकर कारगिल युद्ध को जीता था। तभी से इस दिन को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। 84 दिनों तक हुए इस लड़ाई में इंडियन आर्मी के 527 जवान शहीद और 1,363 सैनिक घायल हुए थे। वहीं दुश्मन देश पाकिस्तान के 400 से अधिक सैनिक मारे गए थे।
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