देश-प्रदेश

Kargil hero: भारत का वो वीर सपूत, जिसने कहा था- या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या उसमें लिपट कर…

नई दिल्ली, कारगिल युद्ध को 23 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कारगिल के वीरों को बड़े ही गर्व से याद किया जाता है. इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हो गए थे, इसी युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. कैप्टन बत्रा से दुश्मन भी थरथराते थे. उनकी बहादुरी के कारण ही दुश्मनों ने उन्हें ‘शेरशाह’ नाम दिया था, 7 जुलाई 1999 को पालमपुर का ये वीर सिपाही वीरगति को प्राप्त हो गया था. विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए शहीद हो गए थे, कैप्टन बत्रा को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से समान्नित किया गया था. उनके अदम्य साहस और बहादुरी के चर्चे सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी थे. यूँ ही नहीं पाकिस्तानी सेना ने शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम दिया था.

‘ये दिल मांगे मोर’

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था, जन्म के समय किसे पता था कि ये लड़का बड़ा होकर इतना बड़ा बलिदान दे जाएगा. 19 जून 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वाइंट 5140 छीन लिया था, रणनीति के हिसाब से ये पॉइंट बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था, कारगिल युद्ध में इस पॉइंट पर छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिको पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे, लेकिन कैप्टन विक्रम बत्रा की टुकड़ी ने इसे भी फ़तेह कर लिया. करगिल युद्ध के इस शेरशाह को देश हमेशा याद रखेगा, क्योंकि इस जवान ने हमेशा युवाओं से कहा कि कुछ भी हो जाए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हो, हम बस ये कहें कि ‘ये दिल मांगे मोर’.

इस तरह गई शेरशाह की जान

प्वाइंट 5140 जीतते ही विक्रम बत्रा अगले प्वाइंट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री पर पड़ता था. यह एक ऐसी मुश्किल जगह थी जहां दोनों ओर खड़ी ढलान थी और उसी एकमात्र रास्ते पर दुश्मवनों ने कड़ी नाकाबंदी कर रखी थी, इस अभियान को पूरा करने के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा ने एक संर्कीण पठार के पास से दुश्म न ठिकानों पर आक्रमण करने का निर्णय लिया. युद्ध के दौरान आमने-सामने की भीषण लड़ाई में कैप्टन विक्रम बत्रा ने पांच दुश्मन सैनिकों को पॉइंट ब्लैक रेंज में ढेर कर दिया. इस दौरान वे दुश्मन स्ना इपर के निशाने पर आ गए और गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद भी वे रेंगते हुए दुश्मनों पर हमला करने पहुंचे और ग्रेनेड फेंक कर मौत के घाट उतार दिया. इस युद्ध में उन्होंने सबसे आगे रहकर लगभग एक असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया, उन्होंने बिना अपनी जान की परवाह किए इस अभियान को पूरा किया, लेकिन बुरी तरह घायल होने के कारण कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हो गए.

क्यों मिला शेरशाह नाम

बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसंबर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी, उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह दो साल के अंदर कैप्टन बन गए. उसी दौरान कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया, जबतक कैप्टन बत्रा की साँसे चली तब तक उन्होंने साथियों को बचाया. पाकिस्तानी सेना ने कोड नेम में विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम दिया था, पाकिस्तानियों ने कैप्टन बत्रा को बंकरों पर कब्जा करते हुई पहाड़ी की चढ़ाई न करने की चेतावनी दी, इस पर बत्रा गुस्से में आ गए कि उन्हें कैसे कोई चुनौती दे सकता है. इसके बाद ये दिल मांगे मोर शंखनाद करते हुए कैप्टन बत्रा ने पाकिस्तानियों की चुनौती का जवाब दिया, इसी ऑप्रेशन में पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन बत्रा को शेरशाह नाम दिया.

आखिरी सांस तक बचाई साथियों की जान

परमवीर चक्र पाने वाले विक्रम बत्रा ने अपनी आखिरी सांस तक अपने साथियों को बचाया था. 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी, इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं’, अफसर को तो कैप्टन बत्रा ने बचा लिया, लेकिन खुद शहीद हो गए. आज भी ये देश उन्हें उनके अदम्य साहस के लिए याद करता है.

चाहे तिरंगा लहरा के आऊं या उसमें लिपट कर आऊं.. आऊंगा ज़रूर

कारगिल युद्ध के दौरान अपनी शहादत से पहले, होली के त्योहार पर सेना से छुट्टी लेकर जब कैप्टन बत्रा अपने घर आए, तब यहां अपने सबसे अच्छे दोस्त और मंगेतर डिंपल चीमा से मिले, इस दौरान कारगिल युद्ध पर भी चर्चा हुई, जिस पर कैप्टेन ने कहा कि मैं “या तो तिरंगे को लहरा कर आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर, पर मैं आऊंगा ज़रूर.”

 

Aanchal Pandey

Recent Posts

वाट्सएप पर शादी का कार्ड भेजकर लाखों की कमाई उड़ा रहे साइबर ठग, APK फाइल डाउनलोड करते ही होगा खेल खत्म

नई दिल्ली: अब वाट्सएप के माध्यम से साइबर ठगों द्वारा एपीके फाइल भेजकर निजी सुरक्षा…

5 minutes ago

हिमंत सरकार ने असम में शुरू किया नामकरण, करीमगंज जिले का नाम बदलकर ‘श्रीभूमि’ रखा

असम की हिमंत बिस्वा सरकार ने राज्य में नामकरण करना शुरू कर दिया है। मंगलवार…

26 minutes ago

महाराष्ट्र में पहले चरण और झारखंड में दूसरे चरण का मतदान आज, दिल्ली में पॉल्यूशन से लोगों को मिली थोड़ी राहत

नई दिल्ली: झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दूसरे चरण का मतदान आज यानी 20…

28 minutes ago

हिंदू से मुस्लिम बने AR रहमान का पत्नी से हुआ तलाक, 29 साल बाद साथ छोड़ गईं सायरा

सायरा ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने यह फैसला रिश्ते में भावनात्मक तनाव…

48 minutes ago

5 राज्यों की 15 विधानसभा सीटों और 1 लोकसभा सीट पर मतदान शुरू, UP में कांटे की टक्कर

आज यानी बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों और झारखंड में दूसरे चरण…

1 hour ago

कब है उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और सही तिथि

नई दिल्ली: उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और फलदायी व्रत माना जाता है।…

1 hour ago