Kanchanjunga Express Accident: पश्चिम बंगाल में हुए रेल हादसे के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि हादसे वाले रूट पर सिग्नल सुबह से ही खराब था, फिर भी ट्रेन इतनी तेज गति से क्यों चलाई गई? अधिकारियों के अनुसार, सिग्नल सिस्टम सुबह से ही ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिसकी जानकारी रेलवे कर्मियों को थी।
सिग्नल में खराबी के कारण ट्रेनों को 10 किमी प्रति घंटे की धीमी गति से चलाने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश इसलिए दिया गया था ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके और ट्रेनें सुरक्षित रूप से अपने स्थान तक पहुंच सकें। लेकिन दुर्घटना के समय ट्रेन की गति इस निर्धारित सीमा से अधिक थी, जिससे हादसा हुआ।
अब सवाल उठता है कि आखिर चूक कहां हुई? विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रेन चालक और कंट्रोल रूम के बीच संवाद में कमी हो सकती है। हो सकता है कि चालक को सिग्नल की खराबी और धीमी गति से चलने के निर्देश समय पर नहीं मिले हों। इसके अलावा, सिग्नल सिस्टम की मरम्मत में देरी भी हादसे का कारण बन सकती है।
रेलवे अधिकारियों ने हादसे के बाद जांच के आदेश दिए हैं। जांच कमिटी इस बात की पड़ताल कर रही है कि सिग्नल की खराबी की जानकारी होते हुए भी ट्रेन तेज गति से क्यों चलाई गई। इसके साथ ही, उस समय ट्रेन चलाने वाले चालक और कंट्रोल रूम के कर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है।
इस हादसे के बाद रेलवे ने सुरक्षा के उपाय और सख्त कर दिए हैं। अब सिग्नल सिस्टम में किसी भी तरह की खराबी होने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, ट्रेनों को धीमी गति से चलाने के निर्देश को सख्ती से पालन करने के आदेश भी दिए गए हैं।
रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो, इसके लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। यात्रियों से भी अपील की गई है कि वे किसी भी तरह की असुविधा या समस्या की जानकारी तुरंत रेलवे अधिकारियों को दें।
इस हादसे ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि तकनीकी खराबियों को समय पर ठीक करने और सुरक्षा के मानकों का सख्ती से पालन करने की कितनी आवश्यकता है। उम्मीद है कि जांच के बाद इस हादसे के असली कारणों का पता चलेगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकेगा।
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