विवेक तिवारी हत्याकांड: पति के लिए टीवी पर फूट-फूटकर नहीं रोईं विवेक तिवारी की पत्नी तो कटघरे में ले आया समाज

नई दिल्ली.  फर्जी एनकाउंटरों को लेकर पहले से बदनाम उत्तर प्रदेश पुलिस का असली चेहरा एक बार फिर सामने आया. जहां राजधानी लखनऊ में बीते 29 सितंबर की रात जो हुआ वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर आम बात है. पुलिस के हाथों एक शख्स की बेवजह हत्या की गई, ये भी सच है. जिससे पीछा छुड़ाने के लिए योगी ने भी आनन फानन में पीड़ित पक्ष के परिवार वालों पर अपनी दया का झोला पूरी तरह उड़ेल दिया.

उस रात अपनी महिला दोस्त के साथ कार में बैठे एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी को राज्य पुलिस के सिपाही प्रशांत चौधरी ने गोली मार दी थी. इसके बाद से विवेक के साथ मौका-ए-वारदात पर मौजूद उनकी दोस्त सना खान और फिर प्रशांत चौधरी के बयानों ने जांच टीम को फिलहाल उलझा रखा है. लेकिन इस सब से परे पूरी घटना पर विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी की योगी सरकार के लिए जो प्रतिक्रिया सामने आई उसे कुछ लोगों के लिए पचा पाना मुश्किल हो गया है. 

क्या कल्पना तिवारी के अंसू तय करेंगे कि वो हैं एक अच्छी पत्नी?

दरअसल बच्चों के भरण पोषण के लिए योगी सरकार से पैसे, और नौकरी ले चुकीं कल्पना ने जब सरकार पर भरोसा जताया तो वे खुद समाज के कटघरे में आ खड़ी हुईं. विवेक के एनकाउंटर के नाम पर योगी सरकार को सोशल मीडिया पर लगातार कोस रहे कुछ बुद्धीजीवी लोग जिन्हें 2 दिन पहले कल्पना पर तरस आ रहा था वे आज उन्हें गालियां दे रहे हैं.

दरअसल रात दो बजे हुई घटना के बाद अगले दिन विवेक की पत्नी कल्पना को परिवार के बीच बैठकर रोते बिलखते देखने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन इसके उलट जब कल्पना पूरी मजबूती के साथ टीवी चैनलों पर दिखाई पड़ी. तो सवाल उठे कैसी पत्नी है एक आंसू नहीं रोई और टीवी डिबेट में आ गई. कल्पना ने जब सीएम योगी से मिलने, बच्चों के लिए पैसों और अपने लिए नौकरी की मांग उठाई तो ट्विटर के दिग्गजों ने कहा- मातम से समय पैसे और नौकरी मांग रही है, लगता है इसी इंतजार में थी.

मामले को लेकर महीनों तक योगी सरकार की किरकिरी का सपना टूटते ही सारा गुस्सा कल्पना पर आ फूटा, वो भद्दी टिप्पणियों के साथ. उसी कल्पना पर जिसके कंधों पर दो बच्चियों की पूरी जिम्मेदारी आ गई है. कई बार सरकार द्वारा मुआवजे के सिर्फ वादे रह जाते हैं ऐसे में कल्पना ने मौके की नजाकत को समझकर सबसे पहले अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचा और अपनी मांगें रखीं. क्या अपने पति को खो चुकी कल्पना ने तुरंत अपने परिवार और बच्चों के बारे में सोचकर कोई गुनाह किया? या फिर समय रहते समझदारी दिखा कर सरकार से अपना हक लेना उसकी गलती थी? 

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Aanchal Pandey

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