भोपाल/नई दिल्लीः सिंधिया राजघराने से आने वाले 47 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश की गुना संसदीय सीट से लोकसभा सांसद हैं. कांग्रेस के युवा नेताओं की फेहरिस्त में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया सियासी माहौल में पले-बढ़े हैं. साल 2002 में गुना संसदीय उपचुनाव में सिंधिया भारी अंतर से जीतकर पहली बार संसद पहुंचे थे. गुना संसदीय से सीट से वह लगातार चौथी बार सांसद चुने गए हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पिता माधवराव सिंधिया के आकस्मिक निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को सिर्फ 31 साल की उम्र में राजनीति में उतरना पड़ा. सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं. सिंधिया अक्सर राहुल गांधी के साथ नजर आते हैं.
1 जनवरी, 1971 को मुंबई में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म हुआ था. सिंधिया ने दून स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से ऑनर्स और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA किया.
MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अमेरिका में ही करीब 4 साल लिंच, संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क और मार्गेन स्टेनले में काम का अनुभव लिया.
12 दिसंबर, 1994 को ज्योतिरादित्य सिंधिया का विवाह राजकुमारी प्रियदर्शनी राजे के साथ हुआ था. ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे का जन्म गुजरात के बड़ौदा, गायकवाड़ मराठा राजघराने में हुआ था.
प्रियदर्शनी के पिता कुंवर संग्राम सिंह के तीसरे बेटे थे. प्रियदर्शनी की मां नेपाल राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. ज्योतिरादित्य और प्रियदर्शनी के दो बच्चे महाआर्यमन सिंधिया और अनन्या राजे सिंधिया हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी देश की सबसे खूबसूरत राजकुमारियों में शामिल हैं. साल 2012 में उन्हें देश की 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल किया गया था. 2008 में ‘बेस्ट ड्रेस्ड हॉल ऑफ फेम’ लिस्ट में भी प्रियदर्शनी का नाम था.
30 सितंबर, 2001 को एक विमान हादसे में उनके पिता माधवराव सिंधिया की मौत हो गई. पिता की मौत ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की रूख मोड़ दिया. उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा.
विदेश से पढ़कर लौटे नौजवान के सामने अब अपने पिता के अधूरे सपने थे. राजघराने की विरासत के साथ-साथ अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पिता की राजनैतिक विरासत भी संभालनी थी.
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को 6 अप्रैल, 2008 को पहली बार मनमोहन सरकार में कैबिनेट में शामिल करते हुए सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री बनाया गया. UPA-2 में जब मनमोहन सिंह दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने तो सिंधिया को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा दिया गया.
ज्योतिरादित्य सिंधिया को खेलों में खासकर क्रिकेट में भी खासा दिलचस्पी है. क्रिकेट के साथ-साथ उन्हें स्विमिंग भी पसंद है. सिंधिया को किताबें पढ़ने और वाइल्ड लाइफ एडवेंचर का भी काफी शौक है.
चुटीले तंज, सियासी समझ से भरे व्यंग्य और जनता से जुड़े मुद्दे उठाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया अब माहिर हो चुके हैं. इसमें उनकी लच्छेदार मुहावरों से भरी भाषण कला का बड़ा योगदान है. वह अक्सर विरोधियों को अपनी व्यंग्यात्मक शैली से मुंहतोड़ जवाब देते हैं.
कांग्रेस आलाकमान के साथ-साथ सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति में भी बेहद सक्रिय रहते हैं. वह अक्सर अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का निराकरण करते हैं. कई बार वह लोगों के घरों में अनायास चले जाते हैं और उनके साथ भोजन भी करते हैं.
यही वजह है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ता ही जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कड़ी चुनौती के रूप में सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने खड़े होंगे.
राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा होने के साथ-साथ वह अक्सर राहुल गांधी के बचाव में भी खड़े नजर आते हैं. ऐसा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता की राजनैतिक विरासत को बखूबी संभालते हुए आगे बढ़ रहे हैं और भविष्य में वह एक ऐसे मुकाम पर जरूर पहुंचेगे, जहां सितारों के बीच जगह पा चुके उनके पिता माधवराव सिंधिया भी उनपर गर्व महसूस करेंगे.
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