जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और कोलेजियम में सहमति नहीं बन पा रही है. इसके चलते हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति में विलंब हो रहा है. इस मामले पर जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक कार्यक्रम के दौरान चिंता जताई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जजों की नियुक्ति में देरी नहीं करनी चाहिए.
नई दिल्ली. जस्टिन कुरियन जोसेफ़ ने जजों की नियुक्ति में देरी पर निराशा जाहिर की. जस्टिस कुरियन जोसेफ़ ने एक समारोह के दौरान कहा कि केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति में देरी न करे. उन्होंने कहा जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम द्वारा भेजे गए सुप्रीम कोर्ट के जजों के नामों पर दो हफ़्ते के भीतर सरकार को विचार कर उनकी नियुक्ति करनी चाहिए. इसके साथ ही हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति 3 हफ्ते के भीतर करनी चाहिए.
वहीं जस्टिन मदन बी लोकुर ने लंबित मामलों पर कहा हमें ग्रासरूट स्तर पर इसको देखना होगा. न्यायपालिका में खाली जगहों को भरने के लिए एक शेड्यूल होना चाहिए. जस्टिस लोकुर ने सुझाव दिया कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लंबित मामलों की संख्या में कमी की जा सकती है.
जस्टिस लोकुर ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हम अपने रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं? निचली अदालतों को लेकर क्या? क्या सिस्टम क्लास के लिए काम करता है मास के लिए नहीं? उन्होंने कहा कि 43 लाख से ज्यादा मामले हाई कोर्ट में लंबित हैं. ये सारे असहज कर देने वाले सवाल हमें खुद पूछने चाहिए.
बता दें कि कोलेजियम को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है. केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्टी के कोलेजियम द्वारा भेजे गए हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के नामों में से दो नाम वापस लौटा दिए हैं. केंद्र सरकार ने सिफारिशें फिर से विचार के लिए इन नामों को लौटाते हुए कोई वजह भी नहीं बताई है. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश सहित पांच वरिष्ठ जजों की एक टीम जजों की नियुक्ति की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है. इस पर केंद्र की सहमति के बाद ही नियुक्ति होती है. कोलेजियम प्रणाली काफी लंबे समय से चली आ रही है.
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