Justice Ganguly On Ayodhya Verdict: अयोध्या फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक गांगुली ने उठाए सवाल, कहा- इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं

Justice Ganguly On Ayodhya Verdict, Ayodhya Mamle Par Justice AK Ganguly: अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में शनिवार को आए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक कुमार गांगुली ने सवाल खड़े कर दिए हैं. द टेलिग्राफ में छपी खबर के मुताबिक फैसला आने के बाद पूर्व जज अशोक कुमार गांगुली परेशान हो गए थे औक इस संविधान का छात्र होने के नाते उन्हें इस फैसले को स्वीकार करने में थोड़ी दिक्कत हो रही है.

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Justice Ganguly On Ayodhya Verdict: अयोध्या फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक गांगुली ने उठाए सवाल, कहा- इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं

Aanchal Pandey

  • November 10, 2019 11:19 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Justice Ganguly On Ayodhya Verdict: आयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिटायर्ड जस्टिस गांगुली ने सवाल खड़े कर दिए हैं. अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ के मुताबिक जस्टिस गांगुली ने कहा कि शनिवार 9 नवंबर को अयोध्या राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में फैसला आने के बाद वह काफी परेशान हो गए थे. संविधान का विद्यार्थी होने के नाते वह इस फैसले को स्वीकार नहीं कर पाए. गौरतलब है कि बीते शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग से जमीन देने का फैसला सुनाया है.

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज अशोक कुमार गांगुली ने सवालों के घेरे में ला खड़ा कर दिया है. अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ के मुताबिक जस्टिस गांगुली ने कहा, ‘अल्पसंख्यकों ने पीढ़ियों से देखा कि वहां एक मस्जिद थी, जिसे तोड़ दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वहां पर एक मंदिर बनेगा. इस फैसले के बाद मेरे मन में एक शक पैदा हो गया है. संविधान का विद्यार्थी होने के नाते मुझे इस फैसले को स्वीकार करने में थोड़ी दिक्कत हो रही है.’

द टेलिग्राफ को जस्टिस गांगुली ने बताया कि 1856-57 में भले ही वहां पर नमाज पढ़ने के सबूत न मिले हों लेकिन 1949 से यहां नमाज पढ़ी गई है और इसका सबूत भी है. उन्होंने कहा कि जब हमारा संविधान अस्तित्व में आया तो वहां पर नमाज पढ़ी जा रही थी. अगर उस जगह पर एक मस्जिद थी तो फिर अल्पसंख्यकों को अधिकार है कि वे अपने धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करें. संविधान की ओर से दिया गया यह मौलिक अधिकार है.

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जस्टिस गांगुली ने टेलिग्राफ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वो तय करे कि संविधान के अस्तित्व से पहले क्या था. आगे उन्होंने कहा कि वहां एक मस्जिद थी, मंदिर था, बौद्ध स्तूप था, चर्च था… अगर इस तरह के फैसले करने लगे तो भारत में कई मंदिर-मस्जिद को तोड़ना पड़ जाएगा. हम पौराणिक तथ्यों के आधार पर नहीं चल सकते.

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अयोध्या मामले में क्या आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी कि 9 नवंबर को 134 साल पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला सुना दिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत पांच जजों की सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर का निर्माण होगा. कोर्ट ने मंदिर बनाने के लिए सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए विवादित जमीन से अलग 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. इसके अलावा निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को चीफ जस्टिस ने खारिज कर दिया.

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