सीबीआई जज लोया की मौत की एसआईटी जांच होगी या नहीं, गुरूवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

राजनीतिक रुप से बेहद संवेदनशील सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले का ट्रायल चलाने वाले जज बीएच लोया की साल 2014 में मौत हो गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका दायर कर जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच कराने की गुहार की गई है. पिछले साल नवंबर को यह मसला तब सामने आया था जब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जज लोया की बहन ने भाई की मौत को लेकर सवाल उठाए हैं.

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सीबीआई जज लोया की मौत की एसआईटी जांच होगी या नहीं, गुरूवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

Aanchal Pandey

  • April 18, 2018 8:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. सीबाआई जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जांच SIT से कराई जाए या नहीं. कांग्रेसी नेता तहसीन पुनावाला, पत्रकार बीएस लोने, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पिछली सुनवाई पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि याचिकाकर्ता की मंशा है कि मामले को इसी तरह तूल मिलता रहे. याचिकाकर्ता यह संदेश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि जज, पुलिस, डॉक्टर सहित सभी के साथ समझौता किया गया. इस तरह के घातक प्रचलन को शीघ्र रोका जाना चाहिए. रोहतगी ने कहा कि जजों को संरक्षण देना भारत के प्रमुख न्यायाधीश का कर्तव्य है. उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कानून का शासन चलता रहे.

रोहतगी ने जज लोया की मौत को लेकर संदेह पैदा करने वाली खबर को झूठा बताया था. उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिकाओं में बेतुकेपन की सीमा लांघ दी गई है. एक याचिकाकर्ता का कहना है कि जज लोया के साथ शादी समारोह में शामिल होने गए चार अन्य जज संदिग्ध हैं. एक कहता है कि वह इन जजों से सवाल-जवाब करना चाहता है. कोई कहता है कि बांबे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ताओं का यह कहना है कि जांच तीन दिनों में क्यों पूरी हुई. जज लोया को उस अस्पताल में क्यों ले जाया गया, दूसरे अस्पताल में क्यों नहीं ले जाया गया. उन्हें ऑटो से अस्पताल ले जाया गया जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें जज की कार से अस्पताल ले जाया गया है. रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता मनगढंत कहानियां रच रहे हैं.

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