अदालतों में खाली हैं जजों के इतने पद, भारत सरकार का चौंका देने वाला आंकड़ा

नई दिल्ली : देश भर में हजारों जजों के पद खाली हैं. इनमें जिला अदालतों में 5850 जजों के पद शामिल हैं जिसमें कुल मंजूर 25,042 पदों में से 19,192 पदों पर ही जज सेवारत हैं. लोकसभा में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक प्रश्न के उत्तर में इन आंकड़ों को उजागर किया […]

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अदालतों में खाली हैं जजों के इतने पद, भारत सरकार का चौंका देने वाला आंकड़ा

Riya Kumari

  • December 25, 2022 6:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : देश भर में हजारों जजों के पद खाली हैं. इनमें जिला अदालतों में 5850 जजों के पद शामिल हैं जिसमें कुल मंजूर 25,042 पदों में से 19,192 पदों पर ही जज सेवारत हैं. लोकसभा में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक प्रश्न के उत्तर में इन आंकड़ों को उजागर किया है. आंकड़ों के जरिए उन्होंने तीन साल यानी जनवरी 2020 से लेकर 19 दिसंबर 2022 तक का ब्योरा दिया. उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान केवल सुप्रीम कोर्ट में 12 जजों की नियुक्ति हुई. हालांकि इस बीच कई जज रिटायर भी हुए हैं. इसके बाद भी 34 में से केवल 28 जज सेवारत हैं. यानी इस समय सुप्रीम कोर्ट में छह जज कम हैं.

333 पद खाली

दूसरी ओर चार जनवरी को जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर भी रिटायर होंगे. हालांकि कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट्स के पांच चीफ जस्टिस और जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की गई है. साल 2023 में नौ जज भी सेवानिवृत्त होने है. जनवरी में जस्टिस अब्दुल नजीर और दिसंबर में जस्टिस संजय किशन कौल रिटायर होने वाले हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सात जज अपना सेवाकाल पूरा करेंगे. रिजिजू ने संसद को पिछले तीन सालों में देश के 25 हाईकोर्ट्स में 351 जजों की नियुक्ति होने की बात कही. इसके बाद भी जजों के कुल मंजूरशुदा 1108 पदों में से केवल 775 पदों पर जज सेवारत हैं. इसका मतलब देश की हाईकोर्ट्स में इस समय 333 पद खाली हैं.

नियुक्ति प्रक्रिया आलोचनाओं के घेरे में

इस दौरान कानून मंत्री रिजिजू ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया की आलोचना भी की है. जिसपर चीफ जस्टिस और कई बार जस्टिस कौल द्वारा भी पीठ की ओर से कॉलेजियम सिस्टम की हिमायत की गई. इस दौरान जब कार्यपालिका ने जजों की नियुक्ति में खामख्वाह की लेट लतीफी को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से कम नामों के आने की बात कही तो न्यायपालिका ने सरकार पर आरोप लगाया. आरोपों के अनुसार वो उनकी सिफारिशों पर बेवजह बिना कोई ठोस वजह के कुंडली मार बैठते हैं.

 

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