नई दिल्ली. बीएच जस्टिस लोया की हत्या के मामले में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया. बुधवार को दिए फैसले में कोर्ट कहा कि उनकी टिप्पणी किसी के प्रति व्यक्तिगत नहीं थी. दरअसल पुराने फैसले में याचिकाकर्ता व उनके वकीलों के रवैये को लेकर काफ़ी कड़ी टिप्पणियां की थीं. ऐसे में इस याचिका में वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी. ऐसे में कोर्ट को ये फैसला करना था कि वह उन टिप्पणियों को अपने 19 अप्रैल के फैसले से हटाएगा या नहीं. बीते 9 मई को कोर्ट ने लोया की हत्या के मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें कि साल 2005 में कथित रूप से गुजरात पुलिस ने सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को हैदराबाद से अगवाकर फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था. इसके बाद साल 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा ही सोहराबुद्दीन शेख के एक साथी और मामले में गवाह माने जा रहे तुलसीराम प्रजापति को भी मारे जाने का मामला सामने आया. इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बीएच लोया की साल 2014 में अचानक मौत से उनके घरवालों में सवाल खड़े किए.
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