अहमदाबाद: गाँधीनगर कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला अनुयायी से रेप के मामले में दोषी करार दिया है। आसाराम बापू को अगस्त 2013 में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जोधपुर ले जाया गया था। आसाराम को गाँधीनगर सत्र न्यायालय ने साल 2013 में सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का […]
अहमदाबाद: गाँधीनगर कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला अनुयायी से रेप के मामले में दोषी करार दिया है। आसाराम बापू को अगस्त 2013 में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जोधपुर ले जाया गया था। आसाराम को गाँधीनगर सत्र न्यायालय ने साल 2013 में सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आसाराम की कभी चाय की दुकान थी। लोग तब उन्हें आसुमल के नाम से जानते थे। वहीं से उनका बाबा बनने का सफर शुरू हुआ। ऐसे में आइए जानते हैं… आसुमल के आसाराम बनने की कहानी।
उनका जन्म 17 अप्रैल 1942 को बरनी गाँव, नवाबशाह (अब पाकिस्तान में) में थिउमल सिरुमलानी और पेशे से व्यवसायी मेंहगी बा के यहाँ हुआ था। बँटवारे के वक्त आसुमल का परिवार भी भारत आ गया था। जिसके बाद परिवार अहमदाबाद के पास मणिनगर में बस गया, लेकिन आसुमल के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गई। बाद में बचपन में ही परिवार की जिम्मेदारी आसुमल पर आ गई। आसुमल मेहसाणा के विजापुर चले गए जो उस समय बड़ा मुंबई था। गुजरात भी इसी राज्य का हिस्सा था। यह 1958-59 के आसपास की बात होगी।
वह चाय की दुकान आज भी मौजूद
वीजापुर में आज भी एक चाय की दुकान है, जो मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर हुआ करती थी। यह चाय की दुकान आज भी मौजूद है। आसुमल को जानने वालों का कहना है कि आसुमल एक बार इसी दुकान पर बैठा करते थे। यह दुकान आसुमल के रिश्तेदार सेवक राम की थी। जानने वालों का कहना है कि आसुमल काफी समय तक चाय की दुकान चलाते थे। साथ ही उन्होंने लंबी दाढ़ी भी रखनी शुरू कर दी थी। वहाँ रहने वाले कई बुजुर्ग उस दौर को आज तक नहीं भूले हैं।
कहा जाता है कि हत्या के आरोप से बरी होने के बाद आसुमल ने वीजापुर छोड़ दिया था। वह अहमदाबाद के सरदारनगर इलाके में बस गए। यह 60 का दशक था। फिर आसाराम को जानने का दावा करने वालों ने आसुमल के अतीत के बारे में चौंकाने वाली बातें बताईं। उन्हीं में से एक काडूजी ठाकोर बताते हैं कि कभी वे और आसुमल दोस्त थे, काडूजी कहते हैं कि तब आसुमल शराब का धंधा करता था। इस धंधे में आसुमल के चार पार्टनर थे। नाम थे जमरमल, नथुमल, लचरानी और किशन मल, ये सभी सिंधी थे। काडूजी के मुताबिक, ये सभी उसकी दुकान से शराब खरीदते थे, जिसे आसुमल बाजार में बेचकर मोटा मुनाफा कमाता था।
काडूजी कहते हैं कि वह आसुमल के इस अतीत को नहीं भूल सकते। आसुमल सफेद बनियान और नीले रंग की निकर पहनकर उसकी दुकान पर शराब लेने आता था। वह खुद ही कंधे पर पूरी लीटर शराब ढोते थे। उनके जानने वालों के मुताबिक आसुमल ने तीन-चार साल शराब के धंधे में रहने के बाद यह नौकरी छोड़ दी थी. फिर उन्होंने महज 300 रुपये में डेयरी फार्म में काम करना शुरू कर दिया। फिर कुछ दिनों बाद अचानक से गायब हो गया।
कई सालों बाद दुनिया के सामने आसाराम नहीं आसुमल आए। धर्मोपदेश देने वाला आसाराम अब रेप और हत्या समेत कई आरोपों में कई सालों से जेल की सलाखों के पीछे है। आज भी कई भक्तों की नजर में वे आध्यात्मिक गुरु है। हलाँकि, कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद अब उसे और सजा मिल सकती है। ऐसा लगता है कि जेल से बाहर निकलने और बरी होने की कोई संभावना नहीं है।