चमोली। जोशीमठ में भूमि के धंसाव के चलते कई घरों और होटलों में दरार आ गई है। इस बीच आज असुरक्षित हो चुके सभी घरों, होटलों और भवनों को गिराए जाने का अभियान चलाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु ने असुरक्षित भवनों को गिराए जाने के निर्देश दिए है। इस दौरान इन भवनों को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBIR)के वैज्ञानिकों की देखरेख में गिराया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन द्वारा सर्वे कर सभी असुरक्षित भवनों, होटलों पर रेड मार्किंग की गई है। इस दौरान प्रशासन का कहना है कि शुरुआत में सर्वे में दो होटल मलारी इन और माउंट व्यू होटल को असुरक्षित पाए जाने के कारण सबसे पहले गिराया जाना है। इसके लिए मजदूरों, दो जेसीबी, बड़ी क्रेन और दो ट्रकों को मौके पर मौजूद रहने के आदेश दिए गए है। इस दौरान आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चमोली ने जोशीमठ इलाके में हो रहे भूस्खलन को देखते हुए आपदा प्रबंधन से संबंधित बुलेटिन जारी किया है, जिसके मुताबिक जोशीमठ टाउन इलाके में कुल 678 इमारतों में दरारे पड़ गई हैं। सुरक्षा कारणों से अब तक कुल 81 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया जाएगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा द्वारा आयाोजित बैठक में निर्णय लिया गया था कि गृह मंत्रालय की एक टीम के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य स्थिति का आकलन करने के लिए जोशीमठ जाएंगे, इसके अलावा पीएमओ द्वारा भी एनडीएमए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञाानिक सर्वेक्षण के अलावा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीमों को स्थिति का अध्ययन करने और मामले पर तुरंत अपनी सिफारिशें देने के निर्देश दिए है। इस दौरान जोशीमठ में दौरा कर भूस्खलन के दौरान हुए नुकसान का आंकड़ा भी ये टीम इकट्ठा करेगी।
उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का निर्णय किया है। ये जोन होंगे- डेंजर, बफर और सेफ जोन। जोन के आधार पर शहर के सभी मकानों को चिह्नित किया जाएगा। डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो काफी ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं, जबकि सेफ जोन में ऐसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है।वहीं, बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है। बता दें कि एक्सपर्ट्स की एक टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।
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