जोशीमठ: जमींदोज हो जाएगा हिमालय पर बसा ये शहर! जियोलॉजिस्ट ने चेताया

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में पड़ रही दरारें अब किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही हैं। हिमालय पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ये शहर कभी भी अलकनंदा में समा सकता है। यहां लगातार हो रहे भू धसाव ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। शासन अब इसके ट्रीटमेंट को लेकर […]

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जोशीमठ: जमींदोज हो जाएगा हिमालय पर बसा ये शहर! जियोलॉजिस्ट ने चेताया

Vaibhav Mishra

  • January 6, 2023 11:36 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में पड़ रही दरारें अब किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही हैं। हिमालय पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ये शहर कभी भी अलकनंदा में समा सकता है। यहां लगातार हो रहे भू धसाव ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। शासन अब इसके ट्रीटमेंट को लेकर बड़े स्तर पर प्रयास कर रहा है। बता दें कि हाल ही में आपदा प्रबंधन की एक टीम ने इसपर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। अब धसाव के कारणों की जांच की जा रही है।

अब रुकने वाला नहीं है धसाव

हिमालय पर अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट का मानना है की यह मल्टीपल फेलियर है। यह एक बड़ा भू धसाव है और सीधा कहे तो अलकनंदा में पूरा स्वरूप समा रहा है। जियोलॉजिस्ट का कहना कि अब विज्ञान से ज्यादा इसमें प्रशासन को काम करने की जरूरत है क्योंकि जब इस पूरे क्षेत्र में अध्ययन के बाद जुलाई में इसकी रिपोर्ट सबमिट की गई थी तब वहां पर कुछ साइंटिफिक तौर पर किया जा सकता था, लेकिन आज हालात पहले से और ज्यादा खराब हो चुके हैं। इससे 15 से 20 हजार लोग प्रभावित हो सकते हैं। सरकार को चाहिए कि तत्काल लोगों को वहां से निकाले। अब यह धसाव रुकने वाला नहीं है।

विज्ञान काम नहीं कर सकता

विशेषज्ञ इस बात का खतरा जाता रहे हैं कि अब कोई विज्ञान काम नहीं कर सकता, अभी सिर्फ प्रशासन को इस पर काम करने की जरूरत है। लोगों का तुरंत वहां से रेस्क्यू किया जाना बहुत जरूरी है। धीरे-धीरे दरारें पड़ने की जमीन धंसने की स्पीड बढ़ रही है और अचानक से यह सब चीजें कोलेप्स हो सकती हैं। जोशीमठ का एक-एक दिन भारी है और उन सब परिवारों को विस्थापित करके कॉलोनी बनाकर उनको वहां से शिफ्ट किया जाना बेहद जरूरी है।

500 से अधिक घरों में आईं दरारें

गौरतलब है कि जोशीमठ में 500 से अधिक घरों और भवनों में दरारें आ गई हैं। स्थानीय लोग जोशीमठ की पहाड़ी के नीचे सुरंग से होकर गुजरने वाली एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को भी जिम्मेदार मान रहे हैं, लेकिन शासन स्तर पर इसको दरारों का कारण नहीं माना गया है। नगर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दहशत के चलते खुद ही दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं। अभी अधिक दरार आने वाली जगहों पर रहने वाले लोगों को शिफ्ट किया जाएगा, वहीं जल्द ही इसके लिए पूरा प्लान बनाकर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

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