जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ की दीवारें दरक रहीं हैं और पूरा शहर जमीन में धंस रहा है. आलम ये है कि वहाँ घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है. बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित जोशीमठ से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो पूरे देश को हैरान कर रही हैं. […]
जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ की दीवारें दरक रहीं हैं और पूरा शहर जमीन में धंस रहा है. आलम ये है कि वहाँ घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है. बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित जोशीमठ से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो पूरे देश को हैरान कर रही हैं. लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से कई इलाकों में लोग दहशत में जी रहे हैं. घरों की दरारें पूरी नींद लेने नहीं दे रही हैं. लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, जोशीमठ में भू-धंसाव का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुँच गया है. खबर है कि ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। । उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का इस मामले को लेकर आरोप है कि “यह विकास के नाम पर हिमालय क्षेत्रों के अच्छी तरह से विनाशकारी विनाश का परिणाम है। जोशीमठ, जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, यहाँ पर आज आलम ऐसा है कि आज हजारों लोगों का जीवन खतरे में है।”
इस मामले में, शंकराचार्य सरस्वती ने जोर दिया कि इस भूमि के कारण बद्रीनाथ मंदिर में और जोशीमठ के नरसिम्हा के मंदिर में भी जोखिम में है। उन्होंने शहर के लोगों से एक सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि, “कई संभावनाएं हैं कि नरसिम्हा का मंदिर, जो कि भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का एक शीतकालीन प्रवास है और आदि ज्योतिष जगदगुरु शंकराचार्य का ज्योतिषपीठ भी धरती में विलय कर सकता हैं. भारतीय संस्कृति के लिए जाना जाने वाला एक महत्वपूर्ण शहर खतरे में पड़ सकता है”।
दअरसल गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर जोशीमठ भू-धंसाव के बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। पिछले साल दिसंबर के महीने में क्षेत्र में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनाएं सामने आई थीं। शहर के मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड और सिंधार वार्ड में लोगों ने घरों में दरार आ गई थी। नगर क्षेत्र में भू-धंसाव से मकानों के साथ कृषि भूमि के भी प्रभावित होने की घटनाएं आईं। यहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गईं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार मामले की निगरानी कर रहा है। स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम उच्च स्तरीय बैठक की। वह आज शनिवार को जोशीमठ ग्राउंड जीरो हालात का जायजा लेने पहुंचे।