जेएनयू प्रशासन ने सभी स्कूलों के डीन और सभी सेंटर्स के चेयरपर्सन को 2018 के सेमेस्टर्स में सभी छात्रों के लिए अटेंडेंस जरूरी करने के आदेश दिए हैं. जेएनयू में पहली बार होगा जब हर एक छात्र की अटेंडेंस रिकॉर्ड की जाएगी.
नई दिल्ली.जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों को क्लास में उपस्थित होना अनिवार्य होगा. जेएनयू प्रशासन ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सभी कोर्स में उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है. विवि प्रशासन ने 22 दिसंबर को एक सर्कुलर जारी किया है जिसके मुताबिक, जनवरी 2018 से प्रारंभ होने वाले सेमेस्टर से सभी कोर्स में पंजीकृत छात्रों के लिए उपस्थिति अनिवार्य है. विवि की इवैल्यूशन ब्रांच ने सर्कुलर जारी कर बताया कि अटेंडेंस को अनिवार्य करने का प्रपोजल 1 दिसंबर को हुई अकैडमिक काउंसिल (एसी) की मीटिंग में मंजूर हुआ था. वहीं जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन का दावा है कि एसी मीटिंग में ऐसा कोई प्रस्ताव मंजूर नहीं किया गया है. इस सर्कुलर में विश्वविद्यालय ने आवश्यक न्यूनतम उपस्थिति के सटीक प्रतिशत की जानकारी नहीं दी है. विश्वविद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य कर देने के बाद यहां सभी छात्रों में गुस्से का माहौल है. उन्होंने इसे सरकार की शह पर छात्रों की गतिविधियों पर रोक लगाने की साजिश बताया है.
जेएनयू प्रशासन के इस सर्कुलर से छात्रों में रोष का माहौल है. लेफ्ट संगठन ने इस निर्देश को अमान्य व मनमाना और छात्र विरोधी बताया है , आरएसएस समर्थित एबीवीपी ने भी इसे रिग्रेसिव तुगलकी फरमान बताया है. छात्रों का कहना है कि सरकार छात्रों को शोध से रोकने की साजिश कर कर रही है. छात्रों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार की शह पर वीसी ने यह फरमान जारी किया है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, छात्रों या शिक्षकों के साथ अकादमिक परिषद की बैठक में उपस्थिति को लेकर चर्चा नहीं हुई. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (जेएनयूएसयू) की उपाध्यक्ष सिमोन जोया खान ने कहा कि कुलपति ने इस बात के बारे में कुछ कहा था कि वे ऐसा करेंगे लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है. खान ने आगे कहा कि विद्यार्थियों की उपस्थिति की निगरानी करने का निर्णय जेएनयू की पारंपरिक रूप से कार्य करने के तरीके पर हमला है, और छात्र इसे स्वीकार नहीं करते. वहीं जेएनयू के वीसी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
इनखबर ने इस संबंध में शोधार्थी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह विवि प्रशासन का सरासर गलत फैसला है. ऐसा करने से छात्रों की गतिविधियों पर रोक लग जाएगी. इसके अलावा अगर छात्र एक साथ अनिवार्य भी रहेंगे तो वहां सीटें भी उपलब्ध नहीं हो पाएंगी. शोधार्थी के मुताबिक, हर विभाग में छात्रों की तुलना में काफी कम सीटें हैं. ऐसे में एक साथ छात्र उपस्थित भी हो गए तो उनके लिए सीटें उपलब्ध कराना भी आसान नहीं होगा.
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