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नहीं रहे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह, 83 साल की उम्र में निधन

सन 1934 में यूपी के बलिया जिले में जन्मे केदारनाथ सिंह नई कविता के अग्रणी कवियों में शुमार थे. वे हिंदी कविता में नए बिंबों के साथ प्रयोग के लिए जाने जाते थे. उनकी कविताएं जटिल विषय को भी सहज एवं सरल भाषा में व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं.

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Kedarnath Singh passes away
  • March 19, 2018 10:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. वे 83 साल के थे पिछले कुछ समय से बीमार रहने के कारण एम्स में उनका उपचार चल रहा था. बताया जा रहा है कि पेट में संक्रमण की शिकायत के चलते उन्हें इलाज के लिए उन्हें अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया था जहां उपचार के दौरान सोमवार शाम 8 बजकर 50 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे लोदी रोड शवदाह गृह में होगा. उनकी मौत की खबर से हिंदी साहित्यकारों एवं उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है.

सन 1932 में यूपी के बलिया जिले में जन्मे केदारनाथ सिंह नई कविता के अग्रणी कवियों में शुमार थे. वे हिंदी कविता में नए बिंबों के साथ प्रयोग के लिए जाने जाते थे. उनकी कविताएं जटिल विषय को भी सहज एवं सरल भाषा में व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं. वे अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक के कवि हैं. केदारनाथ सिंह को 2013 में हिंदी साहित्य में योगदान के लिए साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

केदारनाथ सिंह ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए सम्मानित होने वाले हिंदी के 10वें लेखक हैं. ज्ञानपीठ के अलावा उन्हें मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. बनारस विश्वविद्यालय से 1956 में हिन्दी में एमए और 1964 में पीएचडी करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम किया था.

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