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जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी गैंगरेप केसः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 5 महीने में सुनवाई खत्म करे हाई कोर्ट

हरियाणा की जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट से कहा है कि आरोपियों की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई कर 5 माह में केस का निपटारा करें. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक तब तक बरकरार रहेगी जब तक मामला अदालत में लंबित है. दरअसल हाई कोर्ट ने आरोपियों को निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को निलंबित कर दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट
  • February 15, 2018 2:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः हरियाणा की जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में छात्रा से गैंगरेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट से कहा है कि आरोपियों की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए और अगले 5 महीने के भीतर इस मामले का निपटारा कर दिया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक तब तक बरकरार रहेगी जब तक मामला अदालत में लंबित है. दरअसल हाई कोर्ट ने आरोपियों को निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को निलंबित कर दिया था.

जिंदल ओपन यूनिवर्सिटी में छात्रा से हुए गैंगरेप केस में तीसरे आरोपी विकास गर्ग को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. विकास केस के ट्रायल के दौरान जमानत पर बाहर रहेगा. वहीं दो अन्य आरोपी हार्दिक सिकरी और करण छाबरा मामले की सुनवाई के दौरान जेल में ही रहेंगे. बताते चलें कि बीते साल 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की अर्जी पर आरोपी छात्रों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. नोटिस के मुताबिक, तीनों आरोपियों को सरेंडर करना था लेकिन वह उस वक्त तक गिरफ्तार नहीं हुए थे.

पिछले साल सितंबर में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के तीन छात्रों की सजा को निलंबित कर दिया था. आरोपियों को दो साल पहले यूनिवर्सिटी में ही पढ़ने वाली छात्रा को ब्लैकमेल करने और गैंगरेप करने के मामले में दोषी ठहराया गया था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत ने मुख्य आरोपी हार्दिक और उसके दोस्त करण को दोषी पाते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी, जबकि तीसरे दोषी विकास गर्ग को 7 साल की सजा सुनाई गई थी. तीनों ने हाईकोर्ट से अपील लंबित होने की वजह से जमानत पर रिहा करने की मांग की थी. उनकी अर्जी को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने उनकी सजा निलंबित कर दी और शर्त लगा दी कि इस दौरान तीनों देश छोड़कर नहीं जाएंगे.

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