लखनऊ: झारखंड और असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने इस शनिवार दुनिया को अलविदा कह दिया. शनिवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनका निधन उम्र जनित बीमारियों के कारण हुआ है. बीते दिनों उन्हें उम्र जनित बीमारियों की वजह से ट्रॉमा सेंटर में […]
लखनऊ: झारखंड और असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने इस शनिवार दुनिया को अलविदा कह दिया. शनिवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनका निधन उम्र जनित बीमारियों के कारण हुआ है. बीते दिनों उन्हें उम्र जनित बीमारियों की वजह से ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था जहां 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. बता दें, सैयद सिब्ते रजी ने झारखंड और असम के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवा दी थी. वह छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े हुए थे. झारखंड के राज्यपाल के तौर पर उनका करियर काफी विवादास्पद रहा था जब उनके एक फैसले को तत्कालीन राष्ट्रपति ने पलट दिया था।
सैयद सिब्जे रजी का जन्म 7 मार्च 1939 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ. कांग्रेस पार्टी से उन्होंने अपने राजनीतिक करियर का आगाज़ किया था. वे छात्र जीवन से ही राजनीति में काफी सक्रिय रहे. उनके निधन पर प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं ने शोक जताया है. सैयद सिब्जे ने रायबरेली से राजभवन तक का सफर तय किया था. उनके जीवन में कॉलेज से राजनीतिक करियर शुरू हुआ. लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकॉम सैयद सिब्ते रजी ने अपने छात्र जीवन में जेब खर्च के लिए दो होटलों में नौकरी भी की. उन्होंने बतौर एकाउंटेंट भी काम किया था.
सैयद सिब्ते रजी अपने जीवन में तीन बार राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने गए थे. वह पहली बार 1980 से 1985 तक, दूसरी बार 1988 से 1992 तक और तीसरी बार 1992 से 1998 राज्यसभा सांसद के रूप में रहे. 1980 से 1984 तक वे यूपी कांग्रेस के महासचिव के रूप में अपनी सेवा देते रहे.
झारखंड के राज्यपाल के रूप में सैयद सिब्ते रजी ने सबसे लंबा कार्यकाल तय किया था. वर्ष 2004 से 2009 तक झारखंड के राज्यपाल रहे. वर्ष 2005 में उन्होंने झारखंड विधानसभा में एनडीए के बहुमत के पास होने के बाद भी झामुमो के शिबू सोरेन को सरकार बनाने की न्यौता दिया.
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