नई दिल्ली। लोगों को सोने की शुद्धता की जानकारी नहीं होती है, जिसका फायदा उठाकर ज्वैलर्स कम कैरेट सोना या बिना हॉलमार्क वाला अशुद्ध सोना ग्राहकों को सौंप देते हैं, जो कुछ दिनों बाद खराब होने लगता है। वहीं, जब आप उस सोने को वापस करने या एक्सचेंज करने जाते हैं तो आपको उसके लिए […]
नई दिल्ली। लोगों को सोने की शुद्धता की जानकारी नहीं होती है, जिसका फायदा उठाकर ज्वैलर्स कम कैरेट सोना या बिना हॉलमार्क वाला अशुद्ध सोना ग्राहकों को सौंप देते हैं, जो कुछ दिनों बाद खराब होने लगता है। वहीं, जब आप उस सोने को वापस करने या एक्सचेंज करने जाते हैं तो आपको उसके लिए कम रेट मिलता है।
इन सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए सरकार ने हॉलमार्किंग का नया नियम बनाया है, जो इस साल 1 जून से लागू होगा। इसके लागू होने के बाद जौहरी बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच सकेंगे।
भारतीय मानक ब्यूरो ने 4 अप्रैल, 2022 को एक अधिसूचना के माध्यम से इसकी घोषणा की थी। बता दें कि अब तक 6 शुद्धता श्रेणियों के लिए सोने की हॉलमार्किंग की अनुमति थी। 18 केटी, 20 केटी, 22 केटी, 23 केटी और 24 केटी। इस प्रकार, अन्य शुद्धता (21KT या 19KT) के सोने के आभूषणों को बेचने से पहले हॉलमार्क करना अनिवार्य नहीं था। हालांकि 1 जून से यह नियम बदल जाएगा। अब जौहरी बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच सकेंगे।
हॉलमार्क वाला सोना प्रमाणित सोना है जो गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया से गुजरता है, जिसे हॉलमार्किंग कहा जाता है। बीआईएस, भारत सरकार के अधीन एक एजेंसी, सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने के लिए हॉलमार्किंग की इस प्रक्रिया को अंजाम देती है। ग्राहकों द्वारा खरीदे गए सभी सोने के आभूषणों और सोने की कलाकृतियों के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है, भले ही खरीदे गए सोने की शुद्धता ग्रेड कुछ भी हो।
सोने की हॉलमार्किंग ग्राहक के लिए आत्मविश्वास को बढ़ाती है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि वे जो सोना खरीद रहे हैं वह ठीक उसी शुद्धता का है जैसा कि हॉलमार्क में बताया गया है। इस नियम के लागू होने के बाद नकली सोना बेचने वालों की अब खैर नहीं होगी। बिना हॉलमार्क वाला सोना बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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