JEE Main And NEET Exam 2020: शुक्रवार को जेईई और नीट परीक्षाओं को लेकर तीन जजों की बेंच ने विचार किया. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के बाद छह राज्यों के छह कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जेईई मेन और नीट परीक्षाओं पर पुनर्विचार करने की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया. दरअसल 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोरोना और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए राज्य में नीट और जेईई की परीक्षा को स्थगित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर 1 सितंबर से 6 सितंबर तक होने वाली जेईई मेन और 13 सितंबर को खारिज करने वाली पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब साफ हो गया है कि नीट-जेईई परीक्षा तय समय पर होकर रहेगी. 6 राज्यों की सरकारों ने नीट-जेईई परीक्षा रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. 6 राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के आदेश के खिलाफ परीक्षाओं को लेकर पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की गई थी.
शुक्रवार को जेईई और नीट परीक्षाओं को लेकर तीन जजों की बेंच ने विचार किया. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के बाद छह राज्यों के छह कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जेईई मेन और नीट परीक्षाओं पर पुनर्विचार करने की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया. दरअसल 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोरोना और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए राज्य में नीट और जेईई की परीक्षा को स्थगित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
याचिकाकर्ताओं में मोलोय घटक (मंत्री-प्रभारी, श्रम और ईएसआई (एमबी) योजना और कानून और न्यायिक विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), डॉ. रामेश्वर उरांव (कैबिनेट मंत्री, झारखंड सरकार), डॉ. रघु शर्मा (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, राजस्थान सरकार), अमरजीत भगत (खाद्य, नागरिक आपूर्ति, संस्कृति, योजना, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी, छत्तीसगढ़ सरकार), बलबीर सिंह सिद्धू (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण), और उदय रवींद्र सामंत (उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री, महाराष्ट्र सरकार) शामिल हैं.
गौरतलब है कि 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में होने वाली नीट और जेईई की परीक्षा स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी. पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का करियर संकट में आ जाएगा. जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि जीवन को COVID-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए. क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए. अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या यह देश के लिए नुकसान नहीं होगा?