Jayprakash Narayan Birth Anniversary Special: लाखों की भीड़ अब इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी नारायण के संपूर्ण क्रांति आदोलन में साथ थी. अंग्रेजों से आजादी के बाद आजाद भारत के दूसरे गांधी की यह लड़ाई बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, सत्ता की तानाशाही के खिलाफ थी.
नई दिल्ली. सिंहासन खाली करो की जनता आती है, बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान से जब क्रांतिकारी जय प्रकाश नारायण मशहूर कवि दिनकर की यह कविता सुना रहे थे उस समय उनकी बेटी जैसी इंदू (इंदिरा गांधी) भी नहीं समझ पा रही थीं कि आगे क्या होगा. जेपी को रोकना आसान नहीं था. जिस कंधे को जालिम अंग्रेजी हुकूमत न हिला पाई भला आजाद भारत में उनकी क्रांति को कोई कैसे थाम लेता. लाखों की भीड़ अब जेपी के संपूर्ण क्रांति आदोलन में साथ थी.
अंग्रेजों से आजादी के बाद आजाद भारत के दूसरे गांधी जेपी की यह लड़ाई बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, सत्ता की तानाशाही के खिलाफ थी. लोगों में आक्रोश था, किसान और छात्र सड़क पर थे.
उधर सत्ता में जेपी के नाम की सिरहन थी. रोज हो रहे आंदोलन इंदिरा गांधी की सबसे बड़ी परेशानी बनते जा रहे थे. फिर अचानक इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की और अपने पिता समान जेपी नारायण को जेल भेज दिया.
जिन्हें अंग्रेजी हुकूमत न कैद कर सकी उन्हें इंदिरा गांधी सरकार क्या करती
इंदिरा गांधी ने जेपी नारायण समेत अधिकतर विपक्षी नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. यह वो समय था जब देश का लोकतंत्र सस्पेंड हो चुका था, विपक्षी नेता जेल में थे और लोगों को कुछ समझ आ रहा था कि सियासत क्या खेल करने जा रही है. बेटी जैसी इंदिरा ने जेपी को जेल पहुंचाया यह उनके लिए दुखदाय जरूर रहा होगा. लेकिन देश के लिए जेल जाने का शौक तो वे अंग्रेजी हुकुमत के दौरान ही डाल चुके थे.
जेपी नारायण अमेरिका से पढ़ाई पूरी कर 1929 में भारत आए. उस दौरान आजादी की मांग चरम पर थी. देशभर में जगह-जगह आंदोलन किए जा रहे थे. इस दौरान जेपी महात्मा गांधी और पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के संपर्क में आए. यहां से जेपी की आजादी की क्रांति शुरू हुई जिसके असर से सालों बाद इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार भी नहीं बच पाई. आजादी के लिए लड़ाई के दौरान जेपी नारायण को अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर नासिक जेल में बंद कर दिया.
जेल में जेपी एमआर मासानी और अशोक मेहता जैसे कई नेताओं से मिले. यहां भी जेपी की आजादी की क्रांति लगातार शुरू रही. कानून को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने जेपी को रिहा तो कर दिया लेकिन अब उन्हें रोकना जरूर मुश्किल था. सालों का संघर्ष काम आया और आखिरकार भारत को आजादी मिल गई. कुछ समय बाद जेपी को आजाद भारत का गांधी कहा जाने लगा.
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आपातकाल लगाया, जेल पहुंचाया, फिर भी सरकार गिरने से रोक न सकी इंदिरा गांधी
1974 से शुरू हो चुके जेपी के संपूर्ण क्रांति आदोलन से इंदिरा को बस सत्ता खोने का डर था. इसी डर ने उन्हें आपातकाल तक लगाने पर मजबूर कर दिया. इंदिरा गांधी बस किसी तरह कुर्सी पर बने रहना चाहती थीं. लेकिन समय जरूर करवट लेता है. आखिर देश में आपातकाल कब तक लगा रह सकता था. जेपी को तो सात महीने में खराब सेहत की वजह से जेल से छोड़ दिया गया लेकिन बाकी विपक्षी नेताओं पर भी तो फैसला लेना था.
जनवरी साल 1977 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल हटा दिया. जिसके बाद देश में आम चुनाव कराए गए और इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार चारों खाने चित्त हो गई. शायद ये आजाद भारत के दूसरे गांधी से तानाशाह सरकार के टक्कर लेने का नतीजा था. इस दौरान जेपी की तबियत काफी बिगड़ी हुई थी. इसलिए वे 1977 में हुई दिल्ली की रैली में शामिल नहीं हो पाए. जेपी के बारे में बताया जाता है कि उन्हें इंदिरा के चुनाव हारने का काफी दुख था लेकिन देश उनके लिए बेटी इंदू से उस दौर में भी ऊपर था.
आजाद भारत के गांधी जय प्रकाश नारायण ने एक बार कहा था ”जब सत्ता बंदूक की नली से बाहर आती है और बंदूक आम लोगों के हाथों में नहीं रहती है, तब सत्ता सर्वदा अग्रिम पंक्ति वाले क्रांतिकारियों के बीच सबसे क्रूर मुट्ठीभर लोगों द्वारा हड़प ली जाती है.”
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