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नेहरु का मिला पत्र, अंबेडकर के बारे में कहा कुछ ऐसा, गांधी परिवार की हो सकती है बेइज्जती!

यह पत्र जवाहरलाल नेहरू ने 20 जनवरी 1946 को अमृत कौर के नाम से लिखा था। वैसे तो इसे nehruselectedworks.com पर पढ़ा जा सकता है लेकिन आज इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी वायरल है. इसके बाद कांग्रेस घिरती नजर आ रही है.

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Jawaharlal Nehru letter received said something like this about bhim rao Ambedkar
  • December 21, 2024 9:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 hours ago

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति अपना प्रेम दिखाने की हर संभव कोशिश कर रही है और ऐसा जता रही है मानो उनके अलावा कोई भी बाबा साहेब का सम्मान नहीं करता. वह गृह मंत्री अमित शाह की आधी-अधूरी क्लिप शेयर कर अपना प्रोपेगेंडा फैला रहे थे, लेकिन इसी बीच जवाहर लाल नेहरू की एक चिट्ठी सामने आई, जिससे पता चलता है कि कांग्रेस शुरू बाबा साहब के प्रति किस तरह के विचार रखती थी.

समझौता क्यों नहीं किया

यह पत्र जवाहरलाल नेहरू ने 20 जनवरी 1946 को अमृत कौर के नाम से लिखा था। वैसे तो इसे nehruselectedworks.com पर पढ़ा जा सकता है लेकिन आज इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी वायरल है। इस पत्र में जवाहर लाल नेहरू ने बाबा साहब के बारे में बात करते हुए कहा था, मुझसे पूछा गया कि कांग्रेस अंबेडकर के पास क्यों नहीं गई और उनसे समझौता क्यों नहीं किया. मैंने उनसे कहा कि कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं करने जा रही है.

 

 

अम्बेडकर ने लगातार कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं का अपमान किया है। जब तक वह माफी नहीं मांगते, कांग्रेस का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. मैंने निश्चित रूप से यह नहीं कहा कि पूना पैक्ट के तहत अनुसूचित जाति के लोगों को राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन मेरा पूरा जोर इस बात पर था कि अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार के साथ गठबंधन कर लिया था और वह कांग्रेस के खिलाफ थे. “हम उनसे निपट नहीं सकते।

 

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ब्रिटिश एजेंट भी कहते हैं

इसी पत्र के एक हिस्से को उजागर कर अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस से सवाल पूछे जा रहे हैं. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने लिखा, ”यह कल्पना से परे है कि अमृत कौर को लिखे पत्र में नेहरू ने बाबा साहेब को ‘देशद्रोही’ कहा और उन पर अंग्रेजों से मिलीभगत का आरोप लगाया. संविधान निर्माता बाबा साहब और दलित समाज का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता. अमिताभ चौधरी लिखते हैं, ”1946 में अमृत कौर को लिखे एक पत्र में नेहरू ने अंबेडकर को ‘देशद्रोही’ कहा था और उन पर अंग्रेजों से मिलीभगत का आरोप लगाया था. आज उन्हीं का खून है कि राहुल गांधी और कांग्रेस के लोग वीर सावरकर को ब्रिटिश एजेंट भी कहते हैं।

 

इस्तीफा दे दिया था

इस पत्र के साथ ही लोग सोशल मीडिया पर यह भी पूछ रहे हैं कि कांग्रेस आज बाबा साहब के प्रति जितना प्रेम दिखा रही है, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि क्या बाबा साहब ने नेहरू के रवैये से तंग आकर 1951 में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

 

 

क्या आप इस्तीफा नहीं देंगे? जब बाबा साहब देश के पहले कानून मंत्री बने तो क्या उन्हें रक्षा, विदेश और वित्त से जुड़े हर बड़े फैसले लेने में शामिल करने की बजाय उन्हें किनारे नहीं कर दिया गया था? क्या नेहरू पर अंग्रेजों से मिलीभगत का आरोप नहीं लगाया गया था और उन्हें गद्दार नहीं कहा गया था?

 

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