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Jammu Kashmir Ladakh Union Territories: जम्मू-कश्मीर आज से एक राज्य नहीं, लद्दाख के साथ आधिकारिक तौर पर 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित

Jammu Kashmir Ladakh Union Territories, Jammu Kashmrir Ladakh Bane Kendra Shasit Pradesh: जम्मू-कश्मीर आज से एक राज्य नहीं रहेगा. ये लद्दाख के साथ आधिकारिक तौर पर 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हो गया है. दो नए केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख - सरदार वल्लभभाई पटेल की 144 वीं जयंती पर अस्तित्व में आ रहे हैं. सरदार पटेल को 560 से अधिक रियासतों के भारत संघ में विलय का श्रेय दिया जाता है. अब से जम्मू और कश्मीर में पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा.

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Jammu Kashmir Ladakh Union Territories
  • October 31, 2019 8:01 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

श्रीनगर. केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के दशकों पुराने विशेष दर्जे को रद्द करने के लगभग तीन महीने बाद, राज्य को आधिकारिक तौर पर आज से दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया है. दो नए केंद्र शासित प्रदेश सरदार वल्लभभाई पटेल की 144 वीं जयंती पर अस्तित्व में आए हैं क्योंकि उन्हें 560 से अधिक रियासतों के भारत संघ में विलय का श्रेय दिया जाता है. आज 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. जम्मू और कश्मीर के विभाजन के साथ, भारत में राज्यों की संख्या घटकर 28 हो गई है और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या नौ हो गई है. जबकि जम्मू और कश्मीर में विधायिका बनी रहेगी, जैसे पुडुचेरी में है लेकिन लद्दाख चंडीगढ़ की तरह बिना विधायिका के रहेगा.

जम्मू-कश्मीर को आज अपना पहला उपराज्यपाल भी मिलेगा जब गिरीश चंद्र मुर्मू, केंद्रीय व्यय सचिव, शपथ लेंगे. वहीं पूर्व रक्षा सचिव राधा कृष्ण माथुर लद्दाख के उपराज्यपाल होंगे. जम्मू और कश्मीर में पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र के सीधे नियंत्रण में होगा, जबकि जमीन वहां की चुनी हुई सरकार के अधीन होगी. लद्दाख केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा जो इसे उपराज्यपाल के माध्यम से प्रशासित करेगा. नरेंद्र मोदी-सरकार ने दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी के पहले 100 दिनों में भाजपा के लंबे समय के वादे को पूरा करते हुए, 5 अगस्त को जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त कर दिया था.

सरकार ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 और 35ए दोनों संवैधानिक रूप से कमजोर और भेदभावपूर्ण थे और राज्य के विकास को बाधित करते थे. पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित सैकड़ों स्थानीय राजनेता धारा 370 के तहत विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से नजरबंद हैं. सरकार ने कहा था कि प्रतिबंध, विशेष रूप से संचार पर रोक, जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष विशेषाधिकारों को खत्म करने के लिए एक संभावित बैकलैश और आतंकी हमले को रोकने के लिए आवश्यक थे. अब स्थिति के आधार पर ये वापस ले लिया जाएगा. अनुच्छेद 370 को हटाने के कुछ दिनों बाद, सरकार ने यह भी कहा था कि जम्मू और कश्मीर तब तक केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनेगा जब तक कि सामान्य स्थिति नहीं हो जाती है.

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