नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों में आत्मनिर्भर पुलिस स्टेशनों को अपग्रेड करने का कार्य शुरू कर दिया है। जिससे अन्य अर्धसैनिक बलों और सेना के जवानों पर उनकी निर्भरता कम हो जाएगी। ऑपरेशन कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में 21 पुलिस स्टेशनों को अपग्रेड किया जा चुका है। […]
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों में आत्मनिर्भर पुलिस स्टेशनों को अपग्रेड करने का कार्य शुरू कर दिया है। जिससे अन्य अर्धसैनिक बलों और सेना के जवानों पर उनकी निर्भरता कम हो जाएगी। ऑपरेशन कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में 21 पुलिस स्टेशनों को अपग्रेड किया जा चुका है। अब 22 और पुलिस स्टेशनों को पूरी तरह आतंकवाद विरोधी यूनिट बनाने के लिए तैयार किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने पुलिस के 307 विशेष कमांडो की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए इसकी सूचना दी। यह समारोह पुलवामा जिले के पंपोर में कमांडो ट्रेनिंग सेंटर लेथपोरा में आयोजित किया गया था। पिछले वर्ष 10 जिलों के 43 पुलिस स्टेशनों को आधुनिक हथियार और आतंकवाद विरोधी टीमों से लैस करने के लिए ऑपरेशन कैपेसिटी बिल्डिंग शुरू की गई थी। पहले चरण में, 21 पुलिस स्टेशनों को विशेष रूप से प्रशिक्षित कमांडो और अपग्रेडेड हथियार से लैस किया जा चुका है। बाकी बचे 22 पुलिस स्टेशनों के लिए ओसीबी टीमें लॉन्च कर दी गई है।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, “नए सुरक्षा बलों के कारण घाटी में आतंकी घटनाओं में भारी गिरावट देखने को मिला है। अनंतनाग जिले में तीन आतंकी घटनाएं हुईं, जबकि 36 पुलिस स्टेशनों ने पिछले एक साल के दौरान सौ फीसदी आतंक मुक्त रिकॉर्ड बनाया है।
आगे डीजीपी ने कहा कि ओपी क्षमता निर्माण के तहत आने वाले पुलिस स्टेशनों में आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए ड्रोन की उपलब्धता, आधुनिक हथियार और प्रत्येक में 14 सदस्यीय टीम होगी। इन नई टीमों की मदद से क्षेत्र का वर्चस्व और मजबूत होगा।
पांच साल का रिपोर्ट-कार्ड पेश करते हुए डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, “घाटी में कॉलेटरल डैमेज, कानून व्यवस्था की घटनाएं और नागरिक हताहत की एक भी घटना नहीं हुई है। आतंकवाद का ग्राफ जिसने जम्मू-कश्मीर को बदनाम किया वह भी खत्म हो रहा है।